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रांची/डेस्क: पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में फारेस्ट क्लियरेंस की शर्त का उल्लंघन किया गया है. यह बात पश्चिमी वन प्रमंडल हजारीबाग और पूर्वी वन प्रमंडल हजारीबाग के दो सदस्यीय कमेटी की संयुक्त जांच रिपोर्ट में सामने आई है. जांच रिपोर्ट में यह बताया गया है कि इस कोल परियोजना में एजेंसी (एनटीपीसी) को हाथियों व अन्य जीवों के सुगम आवागमन के लिए बाणदाग रेलवे साइडिंग तक कंंवेयर सिस्टम से कोयला ले जाना था. लेकिन शर्त का उल्लंघन कर सड़क मार्ग से भी कोयला का परिवहन किया गया. जो फारेस्ट क्लियरेंस की शर्त संख्य 9 का उल्लंघन है. जबकि इसमें कोई भी संशोधन नहीं हुआ है. उक्त शर्त वन्य जीवो के सुगम आवागमन के उद्देश्य के लिए दिया गया था. जिसका पूर्ण रूप से उल्लंघन हो रहा है और वन्य जीवों का आवागमन प्रभावित हो रहा है. उक्त वन क्षेत्र में शेड्यूल एक जो अति संरक्षित वन्य प्राणी होते है. दो वर्ष पूर्व भारत सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय रांची भी केंद्र सरकार को भेजे रिपोर्ट में फारेस्ट क्लियरेंस की शर्त संख्या नौ का उल्लंघन किए जाने का उल्लेख कर चुका हैं.
वन विभाग द्वारा विधानसभा और एनजीटी में अलग- अलग पक्ष रखा जाता है
फॉरेस्ट क्लीयरेंस के शर्त संख्या 9 का उल्लंघन के मामले में वन विभाग की दो तरह के जवाब सामने आया है. 2 वर्ष पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम के सवाल पर वन विभाग ने सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन करने का दावा भारत सरकार के 2020 में जारी एक नोटिफिकेशन के आधार पर देता है . वही एनजीटी में चल रहे मामले को लेकर हजारीबाग डीएफओ मौन प्रकाश ने जो हलफ़नामा दायर किया है,वह विधानसभा में दिए हलफनामा से अलग है . शर्त के उल्लंघन के मामले में वन विभाग ने जो जवाब विधानसभा में दिया था उस तर्क का जिक्र नहीं किया गया है. वहीं 2 वर्ष पूर्व सूचना अधिकार के माध्यम से वन विभाग में यह जानकारी दिया था कन्वेयर सिस्टम से कोयला परिवहन होने के बाद सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन होने से संबंधित कोई अभिलेख विभाग में उपलब्ध नहीं है . मुझे बात यह है कि दो सदस्य जांच कमेटी की रिपोर्ट 27 फरवरी 2025 को वन विभाग में दिया गया गया और डीएफओ मौन प्रकाश ने 22 जुलाई 2025 को एनजीटी में हलफनामा दिया, उस हलफनामा में दो सदस्य जांच कमेटी का रिपोर्ट संलग्न नहीं किया गया.
सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने में भारी गड़बड़ी
फारेस्ट क्लियरेंस के शर्त 9 का तो उल्लंघन किया ही गया है. इसके अलावा एटीपीसी द्वारा सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने में भी भारी गड़बड़ी किया जा रहा है, जिससे यह इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोयले की बिक्री खुले बाजार में बेच कर खनिज की अवैध बिक्री और खनिज से प्राप्त राजस्व का नुकसान किया जा रहा है. जांच के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. वन विभाग ने एटीपीसी के कोयला ट्रांसपोर्टिंग में काफी गड़बड़ियों को भी पकड़ा था.
थ्री व्हीलर और टू व्हीलर से कोयला आपूर्ति के लिए जारी किया डिस्पैच ऑर्डर
जांच में यह भी बात सामने आई कि पूर्व में जिला खनन पदाधिकारी हजारीबाग ने यह पकड़ा था कि एनटीपीसी कोयला परियोजना को कोयला आपूर्ति के लिए बिक्री आदेश (डिस्पैच अॉर्डर) निर्गत किया जाता है. डिलीवरी अॉर्डर होल्डर, ट्रांसपोर्टर व लिफ्टर द्वारा जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया उनका नंबर थ्री व्हीलर पैसेंजर, मोटर कार और टू व्हीलर का पाया गया. जो अवैध है. इन वाहनों के नाम पर परिवहन चालान का उपयोग करते हुए कोयला खनिज का परिवहन किया गया.
30 किमी के परिवहन के लिए 24 से 30 घंटे की ट्रांजिट परमिट जारी की गई
वन विभाग ने जांच में पाया कि लोडिंग प्वाइंट से डेस्टीनेशन प्वाइंट तक अधिकतम 30 किमी की दूरी के लिए परिवहन अनुमति पत्र मान्य रहने का अधिकतम समय कुछ घंटा होना चाहिए. जबकि परिवहन अनुमति पत्र में मान्य रहने का समय 24 से 30 घंटा दिया गया. जो सही नहीं है. किसी भी परिस्थिति में परिवहन चालान का अनुमति की वैधता कुछ घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए.