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रांची/डेस्कः- तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद लड्डू के मिलावाट की खबर काफी चर्चे में है. एक रिपोर्ट से पता चला था कि मंदिर से जो प्रसाद मिल रहा है उसमें बीफ टालो व सूवर की चर्बी मिला हुआ था. यह खबर राजनीतिक गलियारों तक में चर्चित है, लेकिन साथ ही चर्बी वाला खाना आपके खाने के थाली तक भी पहुंच सकता है, आईए जानते हैं आखिर ऐसा कैसे होगा. असल में तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रयोग होने वाली प्रसाद में डाली गई घी की जांच की गई जिसमें मछली के तेल व जानवर की चर्बी मिलाने की बात कही गई है.
फॉरेन फैट?
किसी डेयरी प्रोडक्ट को बनाने के लिए जब हम नॉन डेयरी प्रोडक्ट का प्रयोग करते हैं तो उसे फॉरेन फैट कहा जाता है. इसमें हाइड्रोजेनेटेड ऑइल, वेजिटेबल ऑइल्स, एनिमल फैट का इस्तेमाल होता है. इसी के जरिए नकली घी बनाया जाता है.
ऐसे पहुंच सकता है आपके घरों तक
बता दें कि जानवर की चर्बी के थाली तक पहुंचने का सोर्स घी हो सकता है. कई कंपनी नकली घी बनाकर भी बेचती है. इस तरह के घी बनाने में भैंसों के सिंग व जानवर के चर्बी मिले होते हैं. घी में चिकनाई को बढ़ाने के लिए चर्बियों का प्रयोग किया जाता है.
एख रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में आगरा का एक मामला था जहां पुलिस ने एक घी बनाने वाले फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था, यहां जानवरों की चर्बी, हड्डी, सिंग व खुर उबाल कर घी बनाया जाता था. ऐसे और भी कई मामले सामने आए थे. ऐसे में गलती से भी आप इस तरह के नकली घी खरीद कर घर लेकर आते हैं तो आपके थाली तक भी ये चर्बी पहुंच सकती है. अक्सर दुकानों में पूजा वाले घी में मिलावटी होता है अगर बंद डिब्बे की घी खरीदते हैं तो आपको खासा ध्यान रखने की जरुरत है. घर पर आप इसकी जांच कर सकते हैं या फिर लैब में जांच करवा सकते हैं.