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रांची/डेस्क: बिहार में विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक दांव-पेंच भी खूब आजमाये जाने लगे हैं. इस बीच महागठबंधन में ऐसी घटना हो गयी है जिसने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. राजनीतिक लाभ-हानि को देखते हुए महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी RJD की ओर लेफ्ट का ज्यादा झुकाव हो गया है. यही वजह है जिसने कांग्रेस को पसोपेश में छोड़ दिया है. दरअसल, भाकपा माले (CPI ML) ने बिहार में महागठबंधन की ओर से सीएम का चेहरा सुझा दिया है. जिसके कारण कांग्रेस की चूलें हिल गयी हैं.
दीपांकर भट्टाचार्य ने साफ शब्दों में कह दिया कि महागठबंधन में चाहे मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाये या न किया जाये, सीएम चेहरा तो तेजस्वी यादव ही हैं. सीटों के बंटवारे से पहले लेफ्ट नेता दीपांकर भट्टाचार्य का ऐसा बयान आना कांग्रेस को असहज कर गया है.
बिहार में महागठबंधन में अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. लेकिन सीटों के बंटवारे के लिए गठबंधन के नेताओं में बार-बार बैठकें हो रही हैं. सभी पार्टिया चाह रही हैं कि उनके हिस्से में ज्यादा से ज्यादा सीटें आयें. भाकपा (माले) लिबरेशन भी चाहता है कि 243 सीटों में से 40 से अधिक सीटें उसके पाले में आये. बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीती थीं, इसलिए इस बार उसकी महत्वाकांक्षा और भी बढ़ी हुई है. इसीलिए लगता है कि 40 से अधिक सीटों पर वह अपनी दावेदारी अवश्य करेगी. और शायद यही कारण है कि वह तेजस्वी को सीएम फेस बताकर उनका समर्थन चाह रहे हैं ताकि उनकी ज्यादा सीटों की मांग में कोई अड़चन न आये.
यहां यह भी याद रखना होगा कि कांग्रेस ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत सिर्फ 19 पर हासिल कर सकी थी. इतनी ज्यादा सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस की सीटों की महत्वाकांक्षा कम नहीं हो रही है. इस बार उसने इससे भी ज्यादा सीटों की मांग की है. नहीं तो उसने अलग रास्ता अख्तियार करने का भी मन बना लिया है. बता दें कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के लिए यह पहले ही घोषित कर चुके हैं कि पार्टी महागठंधन के साथ लड़े या न लड़े उन्हें कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. यानी कुल मिलाकर मुश्किलें कांग्रेस की ही बढ़ने वाली हैं.
सीएम फेस को लेकर कहां फंसा हुआ है मामला?
बिहार में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे से ज्यादा सीएम के फेस को लेकर मामला अटका हुआ है. लालू यादव हर हाल में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. तेजस्वी यादव की भी अपने आप को मुख्यमंत्री के रूप में ही देखते हैं. आरजेडी सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को ज्यादा हिस्सा नहीं देना चाहती. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस कम सीटों पर तभी तैयार हो सकती है जब सीएम का उम्मीदवार उसकी पार्टी से हो और यह न तो आरजेडी चाहेगा, न लालू प्रसाद यादव चाहेंगे और न ही खुद तेजस्वी यादव. कुल मिलाकर बिहार में महागठबंधन के बीच सीएम फेस का मुद्दा टेढ़ी खीर बन गया है.