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रांची/डेस्क: पाकिस्तान भारत के सात वार्ता करने के लिए छटपटाने लगा है. इसकी वजह साफ है. भारत के साथ सम्बंधों के खराब होने के कारण उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है, सिन्धु नदी समझौता के स्थगित होने से उसकी खेती तो बर्बाद होने के कगार पर पहुंच ही गयी है, साथ ही पाकिस्तान जनता के गला पानी के बिना सूखने लगा है. पाकिस्तान विश्व बैंक के साथ मुस्लिम देशों की चिरौरी करके किसी तरह से लोन तो ले लिया है, अब उसका ब्याज भी बढ़ने लगा है. भारत के ऑपरेशन सिन्दूर के बाद उसकी 'आतंक की खेती' भी चौपट हो चुकी है. उसका करीबी दोस्त चीन भी उसके लिए कुछ नहीं कर पा रहा है. भारत की घेराबंदी के बाद तुर्की की भी अक्ल ठिकाने आ गयी है. चारों ओर से घिर जाने के बाद अब उसे एक ही रास्ता नजर आ रहा है कि भारत वार्ता के लिए किसी तरह से राजी हो जाये तो शायद उसे कुछ राहत मिले.
अभी हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल मुनीर को शाबाशी देने और कुछ गुप्त समझौता करने लंच के बहाने बुलाया था. इस लंच वार्ता में जो बातें सामने आ रही हैं, वह यह है कि अमेरिका ईरान के साथ युद्ध में उतरने के वक्त पाकिस्तान का फेवर चाहता है. वह चाहता है कि अगर अमेरिका को ईरान के खिलाफ युद्ध में उतरना पड़े तो वह पाकिस्तान के एयर बेस का इस्तेमाल कर सके. इसके बदले में ट्रम्प ने पाकिस्तान को 5 जेनेरेशन के लड़ाकू विमान देने का लालच दिया है. पाकिस्तान इस ऑफर से कितना सहमत है यह तो पता नहीं, लेकिन खबर है कि मुनीर ने भी ट्रम्प के सामने कुछ शर्तें रखी हैं, जिनमें एक यह भी कि वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए भारत को तैयार करें.
तो भारत से वार्ता के लिए पाकिस्तान की छटपटाहट का एक कारण यह भी हो सकता है. लेकिन भारत जब वार्ता के लिए तैयार होगा तब न इस मुद्दे पर अमेरिका मध्यस्थता करेगा? वैसे भी भारत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि पाकिस्तान की ओर से जब तक आतंकवाद बंद नहीं होगा, तब तक उसके साथ किसी तरह की कोई वार्ता नहीं होगी. सिंधु समझौते पर भी भारत की नीति साफ है, भारत कह चुका है कि 'खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते'.
वैसे, पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में जो हो रहा है, वह बड़ा हैरत अंगेज है. पाकिस्तानी नेताओं के साथ खुद उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी यह रहस्योद्घाटन किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा है. इनका बयान किसी भी तरह से पाकिस्तानी प्रवक्ता की तरह नहीं लगता, ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई भारतीय प्रवक्ता भारत के कारनामों का गुणगान कर रहा है.
अब देखते हैं कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ क्या चाहते हैं. खबर है कि शहबाज शरीफ की अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से टेलीफोन पर बात हुई. उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री से अनुरोध किया कि वह भारत को वार्ता करने के लिए तैयार करें. क्योंकि पाकिस्तान को लगता है कि अगर वार्ता नहीं होगी तो जम्मू-कश्मीर, सिंधु समझौते जैसे मुद्दों पर बात आगे कैसे बढ़ेगी. आतंकवाद पर पाकिस्तान इस समय क्या सोचता है यह तो वही जाने, लेकिन व्यापार को लेकर एक सार्थक पहल जरूर चाहता है. क्योंकि इसी से उसकी अर्थव्यवस्था को थोड़ा सहारा मिल सकता है.
दूसरी तरफ, भारत पहले स्पष्ट कर चुका है पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत वार्ता करेगा. शेष विषयों पर वार्ता करने के लिए उसे पहले अपनी धरती से आतंकवाद का खात्मा करना होगा.
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