न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने संथाली भाषा की ओलचिकी लिपि को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के प्रति आभार जताया है. चम्पाई सोरेन ने फेसबुक पर पोस्ट करके पीएम मोदी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ पहला विद्रोह करने वाले बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू एवं पंडित रघुनाथ मुर्मू जैसे विद्वानों द्वारा बोली जाने वाली संथाली भाषा (ओलचिकी लिपि) को अब जाकर संसद में सम्मान मिला है.
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि देश की प्रमुख भाषाओं के साथ, अब संसद की कार्यवाही संथाली में भी उपलब्ध होगी. झारखंड, पश्चि बंगाल, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, असम समेत कई राज्यों बोली जाने वाली संथाली भाषा कइ यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मान देकर आदिवासियों को सम्मान देने के काम किया है. इसके लिए पूरे आदिवासी समाज की ओर से मैं आभार व्यक्त करता हूं.
चम्पाई सोरेन ने ओलचिकी लिपि के संसद में एंट्री के बाद संसद में नियुक्त किये गए संथाली अनुवादकों को भी बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं, जिनके योगदान से यह भाषा अब और विकास करेगी. उन्होंने कहा कि भाषा, संस्कृति एवं लोक परंपराएं आदिवासी समाज का अटूट हिस्सा रही हैं. इस भाषा की मान्यता हेतु कई दशकों तक चले आंदोलन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में संथाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था, जिसके बाद इस भाषा का तेजी से विकास हो रहा है. देश की प्रमुख भाषाओं के साथ संसद में संथाली की उपस्थिति इस भाषा की विकास-यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी.