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रांची/डेस्क: पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द करने के बाद भले ही सीमा पार हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन सीमा के इस पर यह तैयारी हो चुकी है कि पानी का अधिक से अधिक और बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है. केन्द्र की मोदी सरकार अब इससे भी एक कदम आगे जाकर सोच रही है. केन्द्र सरकार ने यह फैसला किया है कि अपने देश की जनता हो भी यह बतायें कि सिंधु जल समझौता रोकने का भारत को क्या-क्या फायदा हो सकता है. इतना ही नहीं, 'पानी उधर नहीं जाने के कारण क्या देश को खतरा तो नहीं होगा' जैसे सवालों का भी सरकार जवाब देगी.
क्या है केन्द्र सरकार की योजना?
केन्द्र की मोदी सरकार अपने कई केन्द्रीय मंत्रियों को इस काम में लगायेगी जो जनता के बीच जाकर उनको सिंधु समझौते के रद्द होने से भारत को होने वाले फायदे बतायेंगे. इनमें कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव सहित अन्य वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री होंगे. इन केन्द्रीय मंत्रियों के नेतृत्व में टीमें तैयार होंगी. यही टीमें अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर केन्द्र सरकार की योजना के अनुसार काम करेंगे. मंत्रियों का यह दल पंजाब, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में विशेष रूप से जनसम्पर्क करेगा. क्योंकि सिंधु के पानी का सबसे ज्यादा फायदा इन्हीं राज्यों को होने वाला है.
जल प्रबंधन को लेकर केन्द्र सरकार की क्या है रणनीति
- सिंधु नदी के पानी खेती के अलावा जल विद्युत परियोजनाओं में बेहतर उपयोग.
- चेनाब नदी को रावी, ब्यास और सतलुज से जोड़कर 160 किलोमीटर की विस्तृत नहर शृंखला का निर्माण.
- सिंधु को अन्य नदियों और नहरों से जोड़ना.
- 13 किलोमीटर की सुरंग पहले से तैयार है जिससे जम्मू और कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को पानी भेजना.
- सिंधु के पानी को राजस्थान के श्रीगंगानगर से जोड़ना.
- पानी की उपलब्धता बढ़ने से सिंचाई और बिजली उत्पादन बढ़ाना.
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