गौरव पाल/न्यूज 11 भारत
बहरागोड़ा/डेस्क: लंबे अरसे के बाद बहरागोड़ा में जटिल बीमारी का सफल ऑपरेशन कर चिकित्सा इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया है. सिटी नर्सिंग होम के निदेशक एवं सुप्रसिद्ध लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. चंदन सिंह ने गैस्ट्रिक आउटलेट ऑब्स्ट्रक्शन से जूझ रहे मरीज की गैस्ट्रोजेजुनोस्टॉमी (Gastrojejunostomy) सर्जरी कर उसकी जान बचाई.
यह गंभीर बीमारी महीनों से मरीज को परेशान कर रही थी—जो भी भोजन करता, वह उल्टी के जरिए बाहर निकल जाता. बारीपदा में सिटी स्कैन के बाद मरीज को कटक रेफर किया गया था, लेकिन परिजनों ने भरोसा जताते हुए स्थानीय स्तर पर ही डॉ. चंदन सिंह से उपचार कराने का निर्णय लिया.
डॉ. सिंह ने अत्याधुनिक लेप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल कर मरीज की आंत में नया बायपास मार्ग बनाते हुए सफल ऑपरेशन किया. यह प्रक्रिया मरीज के लिए जीवनदायिनी साबित हुई. ऑपरेशन के बाद अब मरीज की हालत सामान्य है.
परिजनों ने डॉ. चंदन सिंह और उनकी टीम के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि इस ऑपरेशन ने न केवल मरीज को नई जिंदगी दी, बल्कि यह साबित किया कि बहरागोड़ा जैसे छोटे से कस्बे में भी अब उच्चस्तरीय और जटिल सर्जरी संभव है.
यह सफलता बहरागोड़ा के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
क्या है गैस्ट्रोजेजुनोस्टॉमी
गैस्ट्रोजेजुनोस्टॉमी एक शल्य प्रक्रिया है, जिसमें पेट (गैस्ट्रिक) को छोटी आंत के जेजुनम हिस्से से जोड़ दिया जाता है.
यह ऑपरेशन तब किया जाता है जब पेट से भोजन आगे जाने का प्राकृतिक मार्ग बाधित हो जाता है, जिसे गैस्ट्रिक आउटलेट ऑब्स्ट्रक्शन कहते हैं.
यह अवरोध पेट के कैंसर, अल्सर या अन्य गंभीर बीमारियों के कारण हो सकता है.
इस सर्जरी से भोजन सीधे आंत में पहुंच पाता है, जिससे मरीज को सामान्य रूप से खाना पचाने में मदद मिलती है.
लेप्रोस्कोपिक तकनीक से यह ऑपरेशन कम दर्द, कम खून बहने और जल्दी स्वस्थ होने के फायदे देता है.