प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले में बिना पंजीकरण के पैथोलॉजी सेंटर धड़ल्ले से खुल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में दो साल पहले जहां मात्र 65 पैथोलॉजी जांच केंद्र थे. फिलहाल निबंधित पैथोलॉजी सेंटर की संख्या 110 पार कर गई है. वर्तमान में रजिस्टर्ड 112 पैथोलॉजी है. जबकि कई पैथोलॉजी सेंटर का नवीकरण भी नहीं हुआ है. लेकिन उसका भी संचालन किया जा रहा है. वहीं जिले में दो सौ से अधिक पैथोलॉजी सेंटर बिना पंजीकरण के चल रहे हैं. जिला मुख्यालय सहित बरही, चौपारण, बड़कागांव, विष्णुगढ़, चरही व अन्य प्रखंड मुख्यालय में पैथोलॉजी केंद्र का विस्तार हो रहा है. जहां जांच के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक भी नहीं है और ना योग्य टेक्नीशियन है. बावजूद जगह-जगह पैथोलॉजी जांच केंद्र खुलना जारी है. सूत्रों का कहना है किइस धंधे में सभी का कमीशन तयहोता है. इसलिए डॉक्टर वैसे निजी पैथोलॉजी केंद्र में जांच के लिए भेज देते हैं. ऐसे अवैध पैथोलॉजी लैब में खून पेशाब के गलत रिपोर्ट थमाई जा रही है. इसके आधार पर जो दवा डॉक्टर लिख रहे हैं. उसे खाने के बाद बीमारी ठीक होने के बजाय मर्ज बिगड़ता जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि यह गोरखधंधा डॉक्टर, टेक्नीशियन और निजी पैथोलॉजी जांच केंद्र के संचालक के सांठ-गांठ से बेखौफ चलाई जा रही हैं. जबकि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निजी जांच केंद्र खोलने का प्रावधान किया गया है लेकिन जिले में सख्ती से अनुपालन नहीं हो रहा है. पैथालॉजी केंद्र खोलने के लिए संचालक को डीएमएलडी का प्रमाण पत्र विभाग के पास जमा करना पड़ता है. लेकिन जांच करने करने वाले के पास में न एमडी की डिग्री है ना बायोकेमेस्ट्री की. बावजूद निजी पैथालॉजी जांच केंद्र कुकरमुते की तरह फैल रहे हैं. ऐसे अवैध पैथालॉजी जांच केंद्र खड़ा होने के पीछे डॉक्टर और छोला छाप डॉक्टरों के कमिशन का खेल चल रहा है.
नामचीन पैथोलॉजी लैब में भी अनट्रेंड कर्मी की भरमार
जिला मुख्यालय सहित जगह-जगह ब्रांड पैथोलॉजी लैब के सेंटर खुल रहे हैं. घर तक सैंपल लेने की सुविधा दे रहे हैं. रिपोर्ट होम डिलीवरी के माध्यम से पहुंचाई जा रही है. जहां ब्रांड देखकर लोग जांच कराने पहुंच रहे हैं. लेकिन वहां भी अप्रशिक्षित कर्मी की भरमार है. शहर के हर एक से दो किलोमीटर की दूरी में ब्रांडेड कंपनियों के कलेक्शन सेंटर खोल रखा है. जहां से सैंपल रांची भेजा जाता है. फिर देर से रिपोर्ट दी जाती है. मरीज को इसमें ज्यादा पैसा भी खर्च हो रहा है.
सरकारी अस्पताल में मात्र 70 लोगों की होती है जांच
सरकारी जांच के नाम पर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जो पैथोलॉजी लैब है. वहां पहले शिफ्ट में 9:00 बजे से 12:00 बजे तक 50 और दो बजे बजे से चार बजे तक 20 लोगों का सैंपल लिया जाता है. सैकड़ो लोग वहां से बिना जांच के लौट जाते हैं. जिन्हें निजी पैथोलॉजी जांच केंद्र में जाना मजबूरी बन जाता है. इसके अलावा निजी चिकित्सकों के पास जो लोग इलाज के लिए जाते हैं. उन्हें भी जांच के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर में ही भेजा जाता है. इसके अलावा डायबिटीज और थायराइड के बढ़ते मरीजों के कारण नियमित ब्लड जांच करने वालों की संख्या बढ़ी है. इसके कारण शहर एवं अन्य क्षेत्रों में पैथोलॉजी सेंटर खुल रहे हैं. वहां की जांच के लिए लंबी कतार लगी है.
जांच टीम होगी गठित, होगी कारवाई: सिविल सर्जन
मामले को लेकर जिले के सिविल सर्जन ने कहा कि क्लिनिकल एस्टॅब्लिशमेंट एक्ट के तहत पैथोलॉजी केंद्र खोलने के लिए एमडी इन पैथोलॉजिस्ट या कम से कम एमबीबीएस डॉक्टर होना जरूरी है. इसके साथ प्रशिक्षित टेक्नीशियन भी होना जरूरी है. फिलहाल अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की जा रही है. सभी अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी को जिला प्रशासन की ओर से कार्यवाही करने के लिए कहा गया है. अवैध पैथोलॉजी लैब खोलने मामले में टीम बनाकर मामले की जांच कराई जाएगी.