प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले में अवैध नर्सिंग होम्स का जाल इतना फैल चुका है कि अब हर सप्ताह एक नई दर्दनाक खबर सामने आ रही है. इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन जिला सिविल सर्जन व जिला प्रशासन की चुप्पी रहस्यमय और शर्मनाक है. अभी कुछ दिन पहले बिरहोर समुदाय की एक गरीब महिला इलाज के लिए एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती हुई थी. वहां इलाज की जगह लापरवाही और झोलाछाप डॉक्टरों की करतूतों ने उसकी हालत ऐसी बिगाड़ी कि उसे रांची रेफर करना पड़ा. इसी कड़ी में एक और घटना ने जिले को झकझोर दिया. एक अवैध नर्सिंग होम में प्रसव के दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई. अस्पताल संचालक ने नॉर्मल डिलीवरी के नाम पर पैसा तो ले लिया, पर न तो जरूरी उपकरण थे और न ही प्रशिक्षित स्टाफ. एक अन्य नर्सिंग होम में रवीना खातून नाम की महिला की ऑपरेशन कर उसे मौत के मुँह में धकेल दिया गया. इन सब मामलो में प्रशासन का रवैया बेहद ढीला है. हर बार जांच की बात होती है, एकाध नर्सिंग होम सील कर दिया जाता है, लेकिन अब तक किसी भी कातिल संचालक को जेल नहीं भेजा गया. क्या यह सब मिलीभगत का हिस्सा है? हजारीबाग की जनता अब सवाल पूछ रही है कि क्या इन मौतों का कोई जिम्मेदार नहीं? क्या गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं? प्रशासन कब तक आंख मूंदे बैठेगा? अब वक्त आ गया है कि सिर्फ जांच नहीं, गिरफ्तारी हो. इन नीम हकीम संचालकों को जेल भेजना होगा वरना हजारीबाग की ये सड़ी हुई व्यवस्था मासूमों की लाशों पर ही टिकी रहेगी. हजारीबाग के सिविल सर्जन को अवैध नर्सिंग होम और जाली चिकित्सकों पर कार्रवाई करने की जरुरत है.
केस स्टडी 1: बच्चे की मौत
हाल ही में एक अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम में सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) के दौरान शिशु की मौत हो गई. परिजनों ने संचालकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. स्थानीय चिकित्सा पदाधिकारी ने इस तरह के होम्स की भरमार की बात कही है. लेकिन अब तक जांच ही जारी है. सदर थाना क्षेत्र में मां-बच्चे की मौत सदर थाना के एक नर्सिंग होम में कुछ माह पहले प्रसव सुविधाएं देने की कोशिश के दौरान एक महिला और उसके नवजात बच्चे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल संचालक के खिलाफ हो-हल्ला किया. बाद में मुआवजे का समझौता भी हुआ. प्रशासन द्वारा संचालक की पहचान कर मुकदमा दर्ज करने की बात कही.
चौपारण में चार गिरफ्तार
नव वर्ष 2025 में चौपारण प्रखंड में अवैध अल्ट्रासाउंड क्लीनिक और नर्सिंग होम्स के खिलाफ जिला स्तर की क्राइम ब्रांच टीम ने छापेमारी की, जिसमें चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. बताया गया कि क्लीनिक और नर्सिंग होम बिना लाइसेंस और एनओसी के संचालित हो रहे थे. मतलब ये सब कार्रवाई भी क्राइम ब्रांच के हिस्से में है तो फिर सीएस और जिला प्रशासन किसलिए है. ऐसे ऐसे दर्जनों केस हैं. इसका मतलब है कि इन अवैध नर्सिंग होम के संचालको में ना कानून का भय है और ना प्रशासन का डर. जरुरत है एकदम ठोस कार्रवाई की तभी इसपर नकेल लग सकती है. जैसे कि 19 साल पहले एक नर्सिंग होम में अवैध नसबंदी ऑपरेशन के परिणामस्वरूप महिला की मृत्यु होने पर उसके संचालक समेत तीन लोग गिरफ्तार हुए थे और उनको जेल की हवा खानी पड़ी थी. साल 2019 में सिविल सर्जन द्वारा तीन निजी नर्सिंग होम्स के खिलाफ क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट उल्लंघन के आरोपों पर एफआईआर दर्ज किए गए थे, और उन्हें सील किया गया था. इस तरह की कार्रवाई की जरुरत है. इधर इस मामले पर जब सिविल सर्जन से संपर्क करने की कोशिश की गयी तो उनसे संपर्क ना हो सका.