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झारखंड » सिमडेगा


Mahashivratri special: प्राचीनतम और अनोखे शिवालयों से भरा है सिमडेगा

त्रेतायुग से यहां से जुडी है लोगों की विशेष आस्था
Mahashivratri special: प्राचीनतम और अनोखे शिवालयों से भरा है सिमडेगा

 आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत


सिमडेगा/डेस्क:  महाशिवरात्रि आदिदेव भगवान भोलेनाथ का खास दिन होता है.  यही वह दिन है जब आदिदेव महादेव माता गौरी संग विवाह रचाए थे. महाशिवरात्रि बाबा भोलेनाथ और इनके भक्त दोनो के लिए खास होता है.  कहते हैं महाशिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ का पृथ्वी पर वास रहता है और भोलेनाथ अपने सभी भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं.  भगवान शिव पृथ्वी पर अपने निराकार साकार रूप में निवास कर रहे हैं.  भगवान शिव सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान हैं.  शिव प्रलय के पालनहार हैं और प्रलय के गर्भ में ही प्राणी का अंतिम कल्याण सन्निहित है.  शिव शब्द का अर्थ है 'कल्याण' और 'रा' दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है, तात्पर्य यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है. 


सिमडेगा जिला में अनेकों शिवालय हैं.  उनमें कुछ बहुत प्राचीनतम शिवालय हैं जहां से लोगों की विशेष आस्था जुड़ी है. महाशिवरात्रि में सभी शिवालय को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. महाशिवरात्रि पर जिले के सभी शिवालयों में में पूजन अनुष्ठान में भक्तों की भीड उमडती है.  लेकिन जिले के कुछ खास प्राचीन शिवालयों पर विशेष महिमा है. प्राचीनतम शिवालयों में यहां सबसे पहला नाम करंगागुड़ी महादेव का आता है. 

 

द्वादशज्योर्तिलिंग का अंश है करंगागुड़ी शिवधाम

सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर दुर सिमडेगा कुरडेग पथ पर प्राचीनतम करंगागुड़ी शिवधाम है.  यहां की मान्यता है कि यह द्वादशज्योर्तिलिंग का अंश है. यहां भोलेनाथ के शिवलिंग को लेकर कई कथाएं हैं.  किवदंती है कि 13 वीं सदी में इस क्षेत्र के राजा कोरोंगा देव हुआ करते थे.  यहां उन्ही के द्वारा सात तल्ले का शिवलिंग रख कर पूजा किया जाता था.  लेकिन कालांतर में सभी शिवलिंग जमींदोज हो गए.  जो बाद में सर्वे के दौरान फिर से लोगो को दिखलाई दिए.  कहते हैं कि आज भी एक शिवलिंग जो उपर दिखलाई पडती है.  इसके नीचे और छह अरघा सहित शिवलिंग मौजुद हैं.  यहां सिमडेगा सहित ओडिसा और छतीसगढ से भी भक्त पंहुचते रहते हैं. 


त्रेतायुग से जुड़ा का केतुंगा शिवधाम, भगवान शिव के पुत्र श्वेतकेतु के द्वारा स्थापित है यहां शिवलिंग

सिमडेगा के प्राचीनतम शिवालय की अगली कडी में जिले के कोलेबिरा प्रखंड के केतुगांधाम का नाम आता है.  यहां की बात हीं निराली है.  यहां के विशाल शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह शिवलिंग त्रेतायुग का है.  ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग भगवान शिव के पुत्र श्वेतकेतु के द्वारा स्थापित किया गया था.  इस शिवधाम की सबसे बडी महिमा है कि यहां महादेव निसंतान माताओं की झोली पुत्ररत्न से भर देते हैं. कहा जाता है कि आज तक इस दरबार से कोई दुखियारी खाली हाथ नहीं लौटी है.  यहां महादेव हर संकट के संकेत दिया करते थे.  1946 में कुछ उपद्रवियों द्वारा मंदिर को और शिवलिंग को क्षति पंहुचाया गया था.  उन सभी उपद्रवियों भगवान ने खुद सजा भी दी थी। यहां से लोगों की खास आस्था जुडी है. 


सिमडेगा के शिवालय की अगली कडी में सिमडेगा शहर में स्थित सरना महादेव अपने आप में अनोखा और बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां स्वयंभू महादेव सदियों से लोगो के आस्था का केंद्र रहे हैं।.  यहां मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद भोलेनाथ पूरी करते हैं. 

 

सिमडेगा के शिवालय की अगली कडी में कोलेबिरा का हीं बुढामहादेव भी कालांतर से लोगो की आस्था का प्रतिक हैं.  कोलेबिरा डैम के किनारे हाल में पुराने मंदिर की जगह भव्य मंदिर बनवाया गया है. जहां के गर्भगृह में आज भी जमीन से करीब दस फीट नीचे बुढामहादेव शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. यहां एक नहीं कई शिवलिंग हैं जो अनादि कालखंड की कहानियां कहती हैं.  यहां प्राचीन विशाल नंदी बाबा के अलावे सुदर्शन महादेव के अद्भुत दर्शन होते हैं. सुदर्शन महादेव के चक्रनुमा सात तल्ले का अरघा बना है और उसके ऊपर एक शिवलिंग विराजित है.  ये भी काफी प्राचीन है.  यहां एक आदम कद के पीतल का शिवलिंग भी मौजुद है. 

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