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रांची/डेस्क: सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ है. ऑडियो बिहार के एक विधायक और पंचायत सचिव का है. विधायक साहब मनेर के माननीय भाई वीरेंद्र सिंह हैं. वैसे तो भाई वीरेंद्र सिंह बिहार ही में ही नहीं देश में भी एक चर्चित नेता है. लेकिन पंचायत सचिव से बातचीत में न तो विधायक साहब ने मर्यादा दिखाई और न ही पंचायत सचिव ने. यह बातचीत एक मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए विधायक साहब की ओर से किया गया था. लेकिन उन्होंने भी बातचीत की जो शुरुआत की, वह यह बताने के लिए काफी है कि सभ्यता का परिचय उन्होंने भी नहीं दिया. विधायक साहेब की ठसक के तो कहने ही क्या है. बात जूता मारने, तलवे चाटने और बर्खास्त करवाने तक भी पहुंची.
विधायक भाई वीरेन्द्र ने किसी के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर पंचायत सचिव को फोन लगाया था. फोन करके उन्होंने अपना परिचय भी पंचायत सचिव को दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इस पर या तो ध्यान नहीं दिया या फिर उन्हें इस बात से कोई मतलब ही नहीं था. इसलिए उन्होंने फोन पर जवाब दिया- हां बोलिये. विधायक साहब शायद शॉक हो गये कि उन्होंने अपना परिचय दिया, फिर भी सामने वाला इस प्रकार से जवाब क्यों दे रहा है कि जैसे वह उन्हें जानता भी नहीं. उन्हें भी लगा कि बिना किसी दुआ सलाम के कोई उनके साथ इस तरह से बात कैसे कर सकता है. इसलिए शायद उनका भी पारा चढ़ गया. आखिर वह भी तो रुआब रखने वाले विधायक भी तो हैं.
भाई वीरेन्द्र के शायद सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने पंचायत सचिव को रगड़ दिया कि पहचाने नहीं कि मैं कौन हूं. उन्होंने फिर से अपना नाम बताय, लेकिन पंचायत सचिव बेपरवाह होकर जवाब देते चले गये. और फिर दोनों की बात बतंगड़ में बदलती चली गयी और दोनों ही अपनी मर्यादा की सीमा भी लांघते चले गये.
पंचायत सचिव ने भाई वीरेन्द्र से एक बार फिर परिचय मांगा. तब उन्होंने भी अपने अंदाज में ही अपना परिचय दिया कि वह 'कौन भाई वीरेन्द्र' है. यह भी बताया कि मनेर के विधायक हैं. पूरा देश मुझे जानता है और तू कहता है कि मुझे नहीं जानता. इसके बात विधायक साहब ने जूते मारने, प्रोटोकॉल फॉलो नहीं करने की बात भी कह डाली.
खैर, पंचायत सचिव के तेवर भले ही ढीले नहीं पड़े, लेकिन उन्होंने यह जरूर पूछ लिया कि काम क्या है, किस लिए फोन किया. तब विधायक साहब ने किसी रिंकी देवी के पति अविनाश कुमार का मृत्यु प्रमाण बनवाने की बात बतायी, लेकिन हेठी तो उन्होंने इस समय भी नहीं छोड़ी. एक तरह से धमकी दे डाली कि सीधे-सीधे काम करो, ज्यादा टेढ़ई मत करो. इस पर पंचायत सचिव ने भी दहला मारते हुए कहा कि अगर आप सम्मान से बात करेंगे तो हम भी आपको सम्मान देंगे.
कहना नहीं होगा, इसके बाद तो बाद ट्रांसफर कराने और नौकरी छीनने पर भी आ गयी. इस पर पंचायत सचिव ने भी जवाब उसी अंदाज में दिया, ठीक है आप लिखित शिकायत कर दें, हम लोगों के लिए तो ट्रांसफर छोटी-मोटी चीज है. फिर भी इस संवाद के अंत में इतना जरूर कहा कि आप तो सरकार में रह चुके हैं. आपको काम की क्या प्रक्रिया होती है, वह पता है. आपका काम हो जायेगा तो आपको सूचना मिल जायेगी.
यह तो एक बानगी है जो एक विधायक और एक सरकारी कर्मचारी के बीच संवाद के रूप में सामने आयी है. सामने इसलिए आयी क्योकि इसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. आप सोचिए क्या सरकारी महकमों में संवाद का इकलौता उदाहरण है, ऐसे संवादों की तो बाढ़ अब तक आ चुकी होगी, जो भले भी बाहर नहीं आ पायी है.