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देश-विदेश


Junk Food day 2022: खाए मगर जरा सावधानी से

फायदे कम और नुकसान ज्यादा
Junk Food day 2022: खाए मगर जरा सावधानी से

न्यूज11 भारत 


21 जुलाई को नेशनल जंक फूड डे मनाया जाता है. आमतौर पर विश्व भर में चिप्स, कैंडी जैसे भोजन को अल्पाहार और बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने भोजन को जंक फ़ूड कहा जाता है. इन दिनों जंक फूड का चलन काफी बढ़ गया है. जंक फूड खाने में स्वादिष्ट होते है लेकिन इसको खाने के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है . इसकी एक वजह हमारी भागदौड़ भरी जीवनशैली है, और टाइम की कमी के कारण हम ऐसे खाने की तरफ बढ़ते हैं जो की मिलने में आसान और बनने में भी आसान हो. इसीलिए इस तरह के फूड को फास्ट फूड भी कहा जाता है. जंक फूड ऑयली और प्रोसेस्ड फूड होने के कारण सेहत को कई तरह से प्रभावित करता है. जिससे कई शारीरिक दिक्कते  मोटापा, डायबिटीज आदि भी हो सकती हैं, इसलिए इसका सेवन एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. 


कर सकते है जंक फ़ूड का इस्तेमाल 

 

राष्ट्रीय जंक फूड दिवस एक ऐसा दिन है जो आपको बिना किसी अपराधबोध के अपने पसंदीदा जंक फूड खाने की अनुमति एक दिन के लिए देता है, जो की हम आमतौर पर नहीं करते हैं. जंक फूड में बहुत अधिक कैलोरी, नमक, चीनी और वसा होती है.वैसे देखा जाए तो फास्ट फूड आहार के अंतर्गत कई प्रकार के खाद्य पदार्थ आते हैं. कुछ नियम और सावधानी के साथ इसका प्रयोग किया जाए तो फास्ट फूड के भी कई लाभ हो सकते है.

 


 

समय की बचत 

 

फास्ट फूड बनाने में काफी कम समय लगता है जिस कारण से इसके सेवन से समय की भी बचत होती है. यही कारण है की आज लगभग हरेक जगह फास्ट फूड की दुकान मिल जाती है. जिस कारण आसानी से यह उपलब्ध हो जाता है और इसके सेवन से लोगों को समय की बचत भी होती है. फास्ट फूड बनाने वाले व खाने वाले दोनों के समय की बचत होती है.

 

ऐसे करें इस्तेमाल

 

लोग जंक फूड खाने से परहेज करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बहुत ज्यादा कैलोरीज व बहुत ज्यादा मात्रा में फैट (वसा) से उनकी शरीर पर बुरा नुकसान पहुंच सकता है. उदाहरण के तौर पर पनीर, मायोनीज, विशेष प्रकार के चटनी, सोडा इत्यादि. इसके अलावा फल, सलाद, सब्जी, साबुत अनाज इत्यादि का सेवन भी अलग से करते रहना चाहिए ताकि शरीर में पोषक तत्व की कमी न हो. इसके अलावा व्यायाम, योग  या पैदल चलना भी चाहिए.

 

जंक फूड शब्द की उत्पत्ती 

 

जंक फूड शब्द 1951 में बनाया गया था लेकिन पहली आधिकारिक परिभाषा 1972 में आई . जिसे अमेरिकी पोषण वैज्ञानिक माइकल एफ जैकबसन ने दिया था. जंक फूड शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1972 में किया गया था और इसका उद्देश्य था ज्यादा कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थो की तरफ लोगों का ध्यान खींचना था. वैसे तो जंक फूड का खान-पान हानिकारक नहीं है, ध्यान रखा जाए तो जंक फ़ूड फायदा भी कर सकता है .

 

सावधानी

 

खाद्य पदार्थ के चुनाव व बनाने के तरीका में थोड़ा फेरबदल करके फास्ट फूड को भी स्वास्थ्यवर्धक व पौष्टिक बनाया जा सकता है. जैसे हम ग्रिल्ड सैंडविच खा सकते हैं पर बिना मायोनीज के. सौस का प्रयोग कम से कम करें. रिफाइंड ऑइल का प्रयोग करें. लीनर मिट्स व सब्जियों से तैयार चीजों को अधिक खाएँ. सोडा व ड्रिंक्स पीने से बचें. देखा जाए तो कितना भी इस विषय पर लिखा जाए लेकिन सच्चाई तो यही है की जंक फ़ूड कई तरह से हमें नुकसान पहुंचा सकता हैं . इसका सेवन करने से ब्रेन के फंक्शन्स प्रभावित होते हैं और याददाश्त कमजोर होने का रिस्क बढ़ सकता है. जंक फूड खाने से श्वसन तंत्र पर भी असर पड़ता है. इसकी वजह से अस्थमा, शार्टनेस आफ ब्रीद जैसी समस्याएं हो सकती हैं.जंक फूड खाने से त्वचा बाल और नाखून भी प्रभावित होते हैं. शरीर पर एग्जिमा, खुजली, स्कैल्प की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.जंक फूड का असर डाइजेस्टिव और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर पड़ता है. जंक फूड में काफी मात्रा में ट्रांस फैट, शुगर और अनहेल्दी तत्व होते हैं जिसके कारण मोटापे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. 

गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है. जी हाँ, अगर गर्भावस्था और स्तनपान के समय, डोनट्स, माफिन, कुकीज, चिप्स और मिठाई जैसे प्रोसेस्ड जंक फूड खाए जाए तो उनके होने वाले बच्चों में कोलेस्ट्रॉल और रक्त में वसा का स्तर ज्यादा पाया जाता है. वहीं कई बार जंक फूड के सेवन और मोटापा से महिलाओं में हार्मोन की कमी हो जाती है जिससे वे बांझपन की शिकार हो सकते हैं.
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