अमित सिंह/ न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड में सरकार किसी की भी हो, हाउसिंग बोर्ड के पदाधिकारी हमेशा सरकार पर भारी रहे हैं. हाउसिंग बोर्ड में सक्रिय सिंडिकेट की पकड़ राजनीतिक गलियारों में इतनी मजबूत है, जिसकी बदौलत बोर्ड के पदाधिकारी सरकारी नियमों को ताक पर रख, अपने फायदे के लिए मनमर्जी और नियम के खिलाफ काम करते हैं. शिकायत होने के बाद भी पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है. बोर्ड के पूर्व एमडी ब्रजमोहन कुमार और एई संजीव कुमार को ही देख लिजिए. इनके खिलाफ नगर विकास विभाग को कई शिकायतें मिली है. विभाग की जांच में आरोपी पाए गए. मगर विभाग कार्रवाई करने के बजाए संरक्षण दिए हुए है. यह दोनों पदाधिकारी पैसे और पहुंच की बदौलत सरकारी आदेश को ठेंगा दिखाकर, कमिशन के लिए करोड़ों का भुगतान करते रहे हैं.
संजीव कुमार का बोर्ड में मोनोपॉली
हाउसिंग बोर्ड में सिंडिकेट चलाने वाले संजीव कुमार का मोनोपॉली है. यह हम नहीं, नगर विकास विभाग को बोर्ड की ओर से भेजे गए शिकायत पत्र में लिखा गया था. पत्र में बताया गया कि संजीव कुमार सहायक अभियंता, जो पांचों प्रमंडल के प्रभारी कार्यपालक अभियंता सहित कई पदों पर विराजमान हैं. आवास बोर्ड में 7 सालों से पदस्थापित हैं. इनका बोर्ड में मेनोपॉली है. स्वार्थवश नियम के खिलाफ काम करते हैं. कार्यहित में संजीव कुमार को विलंब हाउसिंग बोर्ड से हस्तांतरण किया जाए, ताकि कार्यों में हो रही अनियमितता पर रोक लगाया जा सके. मगर संजीव कुमार की पहुंच के आगे नगर विकास विभाग भी नतमस्तक हो गया. नगर विकास विभाग ने कार्रवाई करने के बजाए बोर्ड को योजनावद्ध तरीके से लूटने की छूट दे दी.
एमडी और एई ने कैसे सरकारी आदेश को दिखाया ठेंगा
इस उदाहरण से समझिए. झारखंड के मुख्य सचिव 24 दिसंबर 2019 और अपर सचिव योजना सह वित्त विभाग 10 जनवरी 2020 को पत्र जारी किया था. यह पत्र नगर विकास विभाग के साथ सभी विभाग को भेजा गया, जिसमें साफ शब्दों में कहा गया था कि नई सरकार बनने तक किसी प्रकार के भुगतान पर रोक रहेगा, लेकिन आवास बोर्ड के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव और अपर सचिव के आदेश को भी नहीं माना. आदेश का उल्लंघन कर 9 जनवरी 2020 और 20 जनवरी 2020 को 4 करोड़ 67 लाख 15 हजार 544 रुपए का भुगतान कर दिया. आदेश को दरकिनार कर कुल 32 चेक काटे गए. नगर विकास विभाग को जानकारी भी मिली, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बोर्ड के पदाधिकारी जानते थे कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता इसलिए तो बेखौफ होकर सरकारी आदेश को ठेंगा दिखाते रहे और करोड़ों का भुगतान कर कमिशन की वसूली करते रहें.
पोल खोलने वाले अफसरों का करा दिया ट्रांसफर
हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन सचिव निरंजन कुमार ने नगर विकास विभाग को बोर्ड में व्याप्त अनियमितताओं से अवगत कराया था, जिसके कुछ महीने बाद ही सिंडिकेट ने निरंजन कुमार का तबादला करा दिया. 24 जनवरी 2020 को नगर विकास विभाग को बोर्ड से पत्र भेजा गया, जिसमें बताया गया था कि बोर्ड में सरकारी आदेश की अवहेलना हो रही है. भुगतान पर रोक के बावजूद नियम के खिलाफ जाकर एमडी और एई ठेकेदारों के करोड़ों का भुगतान कर रहे हैं. इसके बाद भी नगर विकास विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. शिकायत करने वाले अफसर को ही रास्ते से हटा दिया जाता है. अबतक जो भी सिंडिकेट के खिलाफ हुआ, उसे सिंडिकेट ने रास्ते से हटवा ही दिया है. बोर्ड में सक्रिय सिंडिकेट के आगे कोई नहीं टीकता, जिसके मास्टरमाइंड एई संजीव कुमार है.
रोक के बावजूद 2 दिनों में काट दिए 32 चेक
9 जनवरी 2020 को इस तरीके से 32 चेक काटा गया:
1. 24 लाख 72 हजार 349 रुपए
2. 20 लाख 85 हजार 487 रुपए
3. 34 लाख 70 हजार 044 रुपए
4. 21 लाख 39 हजार 354 रुपए
5. 17 लाख 92 हजार 492 रुपए
6. 02 लाख 93 हजार 914 रुपए
7. 04 लाख 54 हजार 540 रुपए
8. 04 लाख 19 हजार 326 रुपए
9. 14 लाख 85 हजार 605 रुपए
10. 15 लाख 83 हजार 453 रुपए
11. 11 लाख 66 हजार 171 रुपए
12. 19 लाख 68 हजार 973 रुपए
13. 12 लाख 15 हजार 463 रुपए
14. 45 लाख 79 हजार 712 रुपए
15. 26 लाख 33 हजार 211 रुपए
16. 13 लाख 68 हजार 337 रुपए
17. 27 लाख 76 हजार 398 रुपए
18. 15,000 हजार रुपए
2 करोड़ 99 लाख 04 हजार 807 रुपए का चेक काट दिया गया.
वहीं इसके बाद 20 जनवरी 2020 को 14 चेक काटा
1. 2 लाख 88 हजार 364 रुपए
2. 24 लाख 17 हजार 914 रुपए
3. 05 लाख 74 हजार 191 रुपए
4. 32 लाख 00,197 रुपए
5. 03 लाख 14 हजार 854 रुपए
6. 03 लाख 20 हजार 859 रुपए
7. 02 लाख 91 हजार 702 रुपए
8. 13 लाख 55 हजार 894 रुपए
9. 15 लाख 45 हजार 633 रुपए
10. 13 लाख 11 हजार 751 रुपए
11. 12 लाख 21 हजार 681 रुपए
12. 09 लाख 76 हजार 722 रुपए
13. 14 लाख 32 हजार 614 रुपए
14. 15 लाख 58 हजार 561 रुपए
अब दूसरे दिन कुल 1 करोड़ 68 लाख 10 हजार 737 रुपए का चेक काट दिया गया.