न्यूज11 भारत
रांची: भाषा अभिव्यक्ति का जरिया होती है लेकिन अगर यही भाषा जान की दुश्मन बनने लगे तो क्या किया जाए. ऐसे ही कुछ अजीब संकटो का सामना करना पड़ा तमिलनाडु के उन श्रमिकों को जिन्होने दो जून की रोटी लिए अपने जल जंगल और जमीन को छोड़ दक्षिण भारत का रुख किया था. पिछले कई दिनों से सोशल मीडीया पर वायरल वीडीयों में ये दिख रहा कि तमिलनाडु में क्षेत्रियता के आधार पर उत्तर भारतीयों के साथ बर्बता पूर्वक मारपीट की जा रही है.
हालांकि न्यूज11 भारत इस वायरल वीडीयो की पुष्टी नहीं करता. लेकिन इसे लेकर एक ओर जहां झारखंड के प्रवासी श्रमिकों के मन में भय व्याप्त है तो वहीं हिंदी भाषी मजदूरों का दक्षिण भारत से लगातार पलायन जारी है. इसी कड़ी में रविवार को भी बड़ी तादाद में मजदूर ट्रेनों में भर भर कर हटिया स्टेशन पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी पलायन की वजह और तकलीफों की दास्तान सुनाई.
अपनी बेबसी का सामान उठाए यह लोग तमिलनाडु से भागकर रांची पहुंचे मजदूर हैं जो किसी तरह अपनी जान बचाकर यहां तक पहुंचे हैं, भाग कर आए सभी मजदूरों की बस एक ही कहानी है कि उन्हें भगाया जा रहा है कुछ वीडियो वायरल है जिसकी हम पुष्टि नहीं करते, मगर इन मजदूरों को इसी प्रकार की वीडियो ने घर भागने पर मजबूर कर दिया है.
वहीं झारखंड से डीआईजी स्तर के एक पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में 8 लोगों की टीम पहले ही तमिलनाडु पहुंच चुकी है फोन पर टीम की एक सदस्य ने बताया कि अभी तक उनको तमिलनाडु में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा का सबूत नहीं मिला है और यह वीडियो फेक भी हो सकते हैं, सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर के मुताबिक हेमंत सरकार बेहद संवेदनशीलता के साथ स्थिति पर नजर रख रही है.
उन्होंने बताया कि वीडियो फेक भी हो सकता है मगर बेहद विभस्थ है और बहुत तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे एक डर का माहौल पैदा हो गया है और बड़ी तादाद में दक्षिण भारत से मजदूर पलायन कर बिहार झारखंड पहुंच रहे हैं, यहां की सरकारों को भी सतर्क रहना चाहिए कि कहीं इसकी कोई प्रतिक्रिया ना हो जाए.