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रांची/डेस्क: भारत ने पाकिस्तान को एक और करारा झटका देते हुए जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में बहुप्रतीक्षित सावलकोट पावर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी हैं. चार दशकों से भी अधिक समय से अटका यह प्रोजेक्ट अब जमीन पर उतरने को तैयार हैं. भारत सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए इंटरनेशनल टेंडर मंगवाए हैं. 1856 मेगावाट क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट के लिए ऑनलाइन बिड जमा करने की अंतिम तिथि 10 सितंबर तय की गई हैं.
यह पावर प्रोजेक्ट चिनाब नदी पर बनेगा, जिसे सिंधु की सहायक पश्चिमी नदियों में गिना जाता हैं. लंबे समय से यह प्रोजेक्ट प्रशासनिक अड़चनों, पर्यावरणीय चिंताओं और पाकिस्तान की आपत्तियों की वजह से रुका हुआ था. लेकिन अब सरकार ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला कर लिया हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले अधिकारों का भारत को पूरा इस्तेमाल करना चाहिए. इसके तहत जल भंडारण क्षमता को बढ़ाकर पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को नियंत्रित किया जा सकता हैं. सावलकोट प्रोजेक्ट के शुरू होने से भारत को न केवल बिजली उत्पादन में बढ़त मिलेगी, बल्कि पाकिस्तान पर भी जल कूटनीति के तहत दबाव बनेगा.
बता दें कि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को साफ शब्दों में चेताया था कि व्यापार और आतंक, पानी और खून, गोली और बोली साथ-साथ नहीं चल सकते. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया था, जिस पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.
सिंधु नदी की प्रमुख पांच सहायक नदियां है- रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब. इनमें रावी, ब्यास और सतलुज पूर्वी नदियां है, जिनका जल उपयोग भारत को दिया गया है, जबकि झेलम, चिनाब और सिंधु पश्चिमी नदियां हैं, जिनके जल का सीमित उपयोग भारत कर सकता हैं.