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रांची/डेस्क: पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बड़ी राहत मिली हैं. पाक की डूबती हुई कश्ती को IMF का सहारा मिल गया. IMF ने शुक्रवार को पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (Extended Fund Facility) के तहत लगभग 1 अरब डॉलर की फौरन किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी हैं. इस फैसले को लेकर जहां पाकिस्तान ने राहत की सांस ली है, वहीं भारत ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताते हुए मतदान से किनारा कर लिया. इस पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि 'IMF की ओर से पाकिस्तान के लिए 1 अरब डॉलर की किस्त को मंजूरी मिलना भारत की दबाव बनाने की रणनीति की असफलता हैं.' पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह बयान जारी किया हैं.
भारत का कड़ा विरोध
9 मई को वाशिंगटन में हुई IMF बोर्ड की बैठक में जब पाकिस्तान को प्रस्तावित 1.3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर वोटिंग होनी थी, तब भारत ने साफ तौर पर मतदान में भाग नहीं लिया. भारत का कहना है कि पाकिस्तान का IMF से मदद लेने का इतिहास खराब रहा है और वह बार-बार सहायता शर्तों को पूरा करने में विफल रहा हैं. भारत ने IMF की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाक अब 'too-big-to-fail' कर्जदार बन चुका है और इसके अलावा ये भी कहा कि पाकिस्तान को IMF सहायता देने में राजनीतिक कारक भी भूमिका निभाते हैं.
भारत ने पाकिस्तान की ओर से बार-बार IMF की सहायता शर्तों को पूरा न करने पर भी चिंता जताई हैं. इसके अलावा भारत ने यह भी कहा कि पाक को दी जा रही वित्तीय सहायता उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की मदद करती हैं. इन संगठनों का सीधा संबंध भारत में आतंकी गतिविधियों से रहा हैं.
बता दें कि, पाकिस्तान की डूबती हुई अर्थव्यवस्था IMF सहायता पर पूरी तरह निर्भर हैं. भारत के इस मतदान से दूरी बनाने को IMF और अन्य बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं को यह संदेश देने के रूप में माना जा रहा है कि पाकिस्तान को बिना किसी ठोस कदम उठाए वित्तीय मदद देना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता हैं.