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रांची/डेस्कः- हेमंत सोरेन के मामले में कल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने बताया कि यह मामला मनी लॉंड्रिंग का नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का है. ईडी का दुरुपयोग केंद्र सरकार के द्वारा की जा रही है, उन्होने कोर्ट को ये भी कहा कि विनोद सिंह के वाट्सएप्प चैट में 8.86 की जिस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात की जा रही थी वह उस जमीन का है ही नहीं. हाईकोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में भूमी घोटाला मामले में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई पूरी होने के बाद दोनों पक्षों के फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है. , सुनवाई के दौरान ईडी के तरफ से वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा कि पूर्व सीएम हेमंत सोरेन अनाधिकृत रुप से बड़गाई अंचल के 8.86 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा किया है. ईडी के तरफ से कहा गया कि पूर्व सीएम ने खुद को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का इस्तेमाल किया है. उन्होने ये भी कहा कि जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन जांच को बाधित करवा सकते हैं. वहीं हेमंत सोरेन ने कहा कि उनके उपर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. ईडी ने साफ कहा कि आर्किटेक विनोद सिंह ने बड़गाई स्थित जमीन पर बैंकवेट हॉल बनाए जाने के लिए नक्शा बना कर हेमंत सोरेन के फोन में भेजा गया था. बताया जा रहा है कि हिलेरियस कच्छप ने भी हेमंत सोरेन को जमीन के उपर अवैध कब्जा करने में मदद की थी. हिलेरियस ने ही अपने नाम पर बिजली कनेक्शन लेकर इस जमीन पर घेराबंदी कराई थी.
राजनीतिक प्रतिशोध का है मामला..
हेमंत सोरेन के तरफ से वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत में कहा कि यह मामला मनी लॉंड्रींग का नहीं यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है. कोर्ट ने कहा कि हेमंत सोरेन का जन्म 1975 में हुआ औऱ इस जमीन की खरीद बिक्री 1970 के आसपास ही हो गई थी. वहीं ये भी बताया कि भानुप्रताप के पास से जो भी दस्तावेज मिला उसमें हेमंत सोरेन का कहीं भी नाम नहीं है. यह पूरी तरीके से बेबुनियाद है औऱ हेमंत सोरेन को जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए.
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत के द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन भी उपस्थित थी, बता दें कि ईडी ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था.