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रांची/डेस्क: यह कहानी है एक बांग्लादेश से लाई गयी बहू की जिसे एक परिवार अपने घर तो ब्याह कर ले आया, लेकिन अब पति और उसकी मां घर से फरार है. दर-दर भटकने के बाद यह बहू फिलहाल पटना के हरमंदिर जी साहिब की शरण में है. इस बांग्लादेशी बहू कि मदद एसजीपीसी पूर्वी भारत के अध्यक्ष सूरज सिंह ने की है. लेकिन इसके बाद उसका आगे क्या होता है. और भारत सरकार उसके लिए क्या फैसला करती है, यह तो वक्त बतायेगा लेकिन इस बांग्लादेशी बहू का भविष्य तो पूरी तरह से अंधकार में हैं जिसने बांग्लादेश में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर ऐसे परिवार को अपना बनाया जो बाद में बेवफा निकल गया
क्या है बाग्लादेशी बहू की कहानी?
बांग्लादेश के सीमाई राज्यों में बांग्लादेश की लड़कियों की तस्करी कोई नयी बात नहीं है. बहुत से कुंवारे लोग जिनकी शादी नहीं होत है, वे इन लड़कियों को खरीद कर अपने घर लाते हैं, उनसे ब्याह भी करते हैं. इन लड़कियों में कुछ की किस्मत अच्छी होती है और उनका घर परिवार बस जाता है और कुछ इस बांग्लादेशी बहू की तरह दर-दर भटकने के लिए मजबूर हो जाती हैं.
एसजीपीसी पूर्वी भारत के अध्यक्ष सूरज सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस बांग्लादेशी बहू की जो कहानी बतायी है वह इस प्रकार है.
बंगलादेश के सेंथिया की रहने वाली रिया सरकार का मेट्रोमोनियल वेबसाइट के माध्यम से पटना के पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के न्यू पाटलिपुत्र, रोड नंबर 3 के 406 ब्लॉक बी वजीर अपार्टमेंट में रहने वाले स्व. देवाशीष चौधरी, माता पोंपा चौधरी के बेटे अभिषेक चौधरी के साथ 12 फरवरी, 2024 को बंगलादेश में हिन्दू रीति-रिवाज विवाह हुआ था. शादी के बाद अभिषेक चौधरी के परिवार के साथ 14 फरवरी को पटना आ गई. मेट्रोमोनियल वेबसाइट के माध्यम से ही दोनों का परिचय हुआ था.
दोनों की शादी की कहानी इस प्रकार है
मेट्रोमोनियल वेबसाइट पर परिचय होने के बाद 23 दिसंबर को पोंपा चौधरी, अभिषेक चौधरी उसे देखने 20 दिसंबर, 2023 को बांग्लादेश गए थे. रिया सरकार की मां कल्पना सरकार को सबने कहा कि लड़की पसंद है. इसके बाद सभी सेंथिया में स्थित शक्तिपीठ मंदिर गए. वहां पुरोहित ने फरवरी और जून की तारीख तय की. लड़की पक्ष जून में, जबकि लड़का पक्ष फरवरी में ही शादी करने को तैयार था.
रिया बांग्लादेश में एडी बैंक में सीनियर ऑफिसर के पोस्ट पर और 10 वर्षों से काम कर रही थी. 12 फरवरी, 2024 को दोनों की शादी हो जाती है और सभी 14 फरवरी को भारत आ जाते हैं. इसके बाद 18 फरवरी, 2024 को पाटलिपुत्र स्थित रोटी रेस्टोरेंट में रिसेप्शन भी हो गया.
रिया चूंकि बांग्लादेश में बैंक में जॉब कर रही थी और इसलिए उसका वहां लगातार आना-जाना लगा रहा. इस बीच भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक रिश्ते बेहद खराब हो गये जिसके कारण उसका वीजा भी खत्म हो गया. सितंबर में उसने वीजा के लिए अप्लाई भी किया. अक्टूबर-नवंबर में वह पटना में रही. वीजा फिर से मिल जाने के बाद वह फिर बांग्लादेश गयी. जनवरी, 2025 में अभिषेक उसे लाने के लिए सेंथिया पहुंचा. एक फरवरी को वह पटना आ गई. मगर 17 अप्रैल को दो सप्ताह के लिए बंगलादेश भी लौट गई.
यहां से शुरू हुआ असल ड्रामा
बांग्लादेश आने-जाने के क्रम में 10 जून से अचानक उसका कनेक्शन पति व सास से कट हो गया. जब उसे कोई उपाय नहीं सूझा तो वह घबराकर 19 जून को पटना आई. लगातार कॉल के बाद भी अभिषेक और सास से सम्पर्क नहीं हो पाया. दरअसल, अभिषेक ने अपना मोबाइल नंबर बदल लिया था.
इस बीच रिया के साथ एक हादसा यह हुआ कि उसे पैनिक अटैक आ गया. एयरपोर्ट वालों ने उसकी हालत देखकर उसे पारस हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया. अभिषेक और उसकी मां के मोबाइल पर उसने कॉल करना बंद नहीं किया. मगर सम्पर्क कैसे होता? पर हां, अभिषेक की छोटी मौसी उससे जरूर मिली. जिसके बाद वह चाचा ससुर के बेटे के घर में राजेंद्र नगर में रही.
पटना साहिब बना रिया का आशियाना
आखिरकार हारकर वह 17 जुलाई को तख्तश्री पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंची. जीवन से निराश और सुसाइड करने को उतारू रिया को एसजीपीसी, पूर्वी भारत के अध्यक्ष सूरज सिंह नलवा का साथ मिला. इन्होने एक बडे भाई की तरह उसकी बहुत मदद की. वह कुछ दिनों तक गुरुद्वारा के रिहाइश में रही. बाद में पुलिस महानिदेशक और पाटलिपुत्र थाने में पुलिस से मदद की गुहार लगायी.
मीडिया के सहारे पति और से लौट आने की गुहार
सब कुछ ठीक-ठाक चलते हुए अचानक अभिषेक चौधरी के उसकी मां पोंपा चौधरी को क्या हो गया, कुछ पता नहीं है. वे लोग कहां चले गये यह भी नहीं पता. जिस फ्लैट में दोनों रहते थे, पड़ोसियों ने बताया कि कुछ सामान लेकर दोनों निकले थे. रिया परेशान है क्योंकि उसने बांग्लादेश में बैंक की नौकरी भी छोड़ दी थी. रिया एसजीपीसी पूर्वी भारत के अध्यक्ष सूरज सिंह नलवा का आभार जताती है जिन्होंने बुरे वक्त में उसका साथ दिया. रिया को अब पुलिस और मीडिया पर भरोसा है. उसने मीडिया के माध्यम से अपने पति और सास से गुहार लगाती है कि वे उसे फिर से अपना लें. सभी लोग फिर से मिलजुल कर साथ रहेंगे. अब देखना है कि रिया की किस्मत उसे आगे किस राह पर ले जाती है.