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रांची/डेस्क: जैसे ही गर्मियों का मौसम आता है, शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इन दिनों डिहाइड्रेशन की समस्या आम होती है, लेकिन इसके साथ ही एक और गंभीर समस्या तेजी से बढ़ती है और वो है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई. खासकर महिलाओं में यह संक्रमण गर्मियों में अधिक देखा जाता हैं. कई स्टडीज बताती है कि हर दो में से एक महिला को जीवन में एक बार यूटीआई का सामना करना पड़ता हैं.
कब होता है UTI?
यूटीआई तब होता है जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से होते हुए ब्लैडर या किडनी तक पहुंच जाते है और संक्रमण फैलाते हैं. इसके लक्षणों में जलन, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में सफेद कण दिखाई देना, पेट के निचले हिस्से में दर्द जैसे लक्षण शामिल होते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मियों में इस संक्रमण के बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते है, जिनमें डिहाइड्रेशन सबसे बड़ा कारण हैं. आइए जानते है वे कौन-से कारण है, जो गर्मियों में यूटीआई का खतरा बढ़ा देते हैं.
डिहाइड्रेशन: गर्मियों में पसीना अधिक निकलता है और लोग पानी कम पीते है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं. ऐसे में यूरिन कम आता है और शरीर में बैक्टीरिया जमा होने लगते है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं.
यूरिन को रोकना: लंबे समय तक पेशाब को रोके रखना बैक्टीरिया को पनपने का मौका देता हैं. यह आदत संक्रमण को जन्म दे सकती है, इसलिए नियमित रूप से और समय पर यूरिन जाना जरूरी हैं.
टाइट कपड़े पहनना: गर्मियों में टाइट और सिंथेटिक कपड़े पहनने से वजाइना को हवा नहीं मिलती, जिससे नमी और गर्मी के कारण बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं. इसीलिए कॉटन और ढीले-ढाले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती हैं.
प्रेग्नेंसी: गर्भावस्था के दौरान भ्रूण ब्लैडर और मूत्र मार्ग पर दबाव डालता है, जिससे यूरिन रुक जाता है और यूटीआई का खतरा बढ़ जाता हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान यह संक्रमण अधिक सामान्य होता हैं.
मेनोपॉज: मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, जिससे यूरेथ्रा की त्वचा पतली हो जाती हैं. इसके कारण बैक्टीरिया जल्दी चिपकते है और संक्रमण हो जाता हैं.