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रांची/डेस्क: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के 29 मई के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी.
ट्रायल पर रोक लगाई जाए - लालू यादव की मांग
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने की. लालू यादव की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली की विशेष अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगाई जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राहत देने से इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट ने पहले ही कर दिया था इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 मई को दिए अपने फैसले में कहा था कि ट्रायल पर रोक लगाने का कोई ठोस आधार नहीं है. कोर्ट ने सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने की मांग पर केंद्रीय एजेंसी को नोटिस जरूर जारी किया था, लेकिन कार्यवाही को रोकने से इनकार करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त तय की थी.
याचिका में लगाए गए थे जांच में गड़बड़ी के आरोप
लालू यादव की याचिका में कहा गया था कि पहले की जांच और उसकी समापन रिपोर्टों को दबाकर नए सिरे से जांच शुरू करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. उन्होंने तर्क दिया गया कि इससे उनके निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है और यह पूरी जांच दुर्भावना से प्रेरित है.
क्या है 'लैंड फॉर जॉब' मामला?
यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे. आरोप है कि रेल मंत्रालय में नौकरी देने के बदले में कई अभ्यर्थियों से लालू परिवार और उनके करीबियों के नाम पर जमीनें लिखवा ली गईं. इस मामले की आपराधिक जांच सीबीआई कर रही है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलुओं की जांच ईडी के पास है.
राजनीतिक तापमान बढ़ने के आसार
चुनावी मौसम में सुप्रीम कोर्ट से मिली इस निराशा के बाद आरजेडी खेमे में हलचल तेज हो सकती है. भाजपा पहले से ही इस मुद्दे को लेकर आरजेडी पर निशाना साधती रही है. अब जब अदालत से राहत नहीं मिली है, तो यह मामला एक बार फिर से राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है.