आशिष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा में एक बार फिर शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता नजर आई. सरकारी उदासीनता के कारण मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं छोटे-छोटे मासूम बच्चे.झारखंड में एक स्वच्छ और सुरक्षित माहौल में बच्चों को शिक्षा देने के सरकारी वादे लगता है कि सिमडेगा पहुंचने के पहले ही खत्म हो जाते हैं. तभी तो सिमडेगा से लगातार शिक्षा के प्रति सरकारी उदासीनता की खबरें सामने आ रही है. आज फिर ऐसा ही एक मामला सिमडेगा से आया जहां सिमडेगा के बानो प्रखंड के साहूबेड़ा पंचायत अंतर्गत हुरपी गंझु टोली में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय का भवन काफी जर्जर हो गया है . क्लास रूम की छतें तो झड़ झड़ कर नीचे गिरने लगी है. जिस कारण यहां बच्चों की पढ़ाई क्लासरूम के अंदर करना संभव नहीं है. यहां के शिक्षक बसंती देवी स्कूल भवन के बाहर बरामदे में किसी तरह बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं. लेकिन स्कूल बरामदे के छत भी झड़ना शुरू हो गए हैं. जिससे किसी भी क्षण किसी भी बच्चों के सिर में छत का टुकड़ा गिरने का खतरा बना रहता है. छत का अगर टुकड़ा बच्चों के सिर में गिर गया तो उनकी जान भी जा सकती है. लेकिन बच्चों को शिक्षा देना है तो उन्हें मौत के साए में ही सही पढ़ाना तो है.
कई बार शिक्षकों और ग्रामीणों ने यहां नए भवन की मांग की. लेकिन आज तक सरकार और सरकारी तंत्र की कानों में जू नहीं रेंगी. नतीजा आज बच्चों को मौत के साए में अपनी शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. साहूबेड़ा की मुखिया सुसाना जड़िया ने यहां जल्द से जल्द एक नया स्कूल भवन देने की मांग की है.
जिला शिक्षा अधीक्षक दीपक राम से जब इस स्कूल की जर्जर भवन और मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करते बच्चों के बारे में बात की गई तो, उन्होंने भी बताया कि इस भवन की स्थिति का आकलन कर बहुत पहले सरकार को नए भवन की मांग के लिए पत्र लिखा जा चुका है. लेकिन अभी तक वहां से किसी तरह का फंड प्राप्त नहीं हुआ है. जिस कारण अभी तक भवन निर्माण नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि जैसे ही सरकार से नए भवन का फंड मिलेगा स्कूल का नया भवन बनवा दिया जाएगा.
अब कब सरकार की नजरे मौत के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे इन बच्चों के प्रति इनायत होगी, यह तो पता नहीं. लेकिन जल्द ही नया स्कूल भवन इन बच्चों को नहीं मिला तो मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने वाले इन बच्चों के साथ किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता.