न्यूज11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: झारखण्ड के सुदूर कोनो में कुछ ऐसे मंदिर विघयमान है जो पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के होने के बावजुद जंगलों के बीच अवस्थित होने के कारण उपेक्षित पडे हुए हैं. उन्ही में से एक है सिमडेगा के कुडरूम का सरना महादेव मंदिर.
सिमडेगा के सदर प्रखंड स्थित कुडरूम के जंगलों के बीच सरना महादेव मंदिर के अवषेश स्थित हैं. सरना शब्द यहां के आदिवासियों से संबधित है. आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं, और अपने पूजास्थल को सरना के नाम से पुकारते हैं. सरना क साथ महादेव शब्द हीं इस जगह की पौराणिकता को बयान करता है. मंदिर स्थल के आस-पास व्याप्त जंगल की नीरवता वहां तक पंहुचने वाले किसी भी व्यक्ति को स्तब्ध कर देता है. वहां के शिवलिंग की बनावट, उसमें प्रयुक्त होने वाले पत्थर और शिवलिंग के साथ बनी नंदी की मूर्ति मंदिर के प्राचीनता को दर्षाता है. शिवलिंग के चारों तरफ भगवान विश्णु, मां दुर्गा और भगवान गणेष की पाषाण प्रर्तिमाऐं बिखरी पडी हैं. वहां पडे ईंटों की बनावट किसी प्राचीन कालखण्ड में एक भव्य मंदिर होने का इशारा करता है.
लेकिन इन पाशाण मूर्तियों में सबसे अनोखा एक शिवलिंग है, जहां अरघा के उपर शिवलिंग की जगह भगवान महादेव की प्रतिमा अवस्थित है. इस तरह के शिवलिंग इस क्षेत्र में यहां के अलावा कहीं भी नहीं देखे गये हैं.
इतना महत्वपूर्ण स्थल होने के बावजूद इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया है. आस-पास के गांव वालों को इस स्थल पर बहुत आस्था है. लेकिन यहां तक पंहुचने के लिए न तो सडक है और ना हीं कोई सुविधा. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आम आदमी भी यहां आने से कतराते हैं. लेकिन अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अब तक की अनजान कहानी कहता यह ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहर बिना अपना अतीत बताए फिर से अतीत की गहराइयों में खो जाएगा.