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रांची/डेस्क: क्या आपने कभी अपनी अंडरवियर के अंदर एक छोटी सी जेब देखी हैं? अगर हां, तो यकीनन कभी न कभी आपके मन में सवाल आया होगा कि आखिर इसका काम क्या हैं? कुछ लोग इसे इमरजेंसी पॉकेट समझ बैठते है तो कुछ इसे डिजाइन का हिस्सा मानते है लेकिन अब समय आ गया है इस छोटी सी चीज के बड़े राज से पर्दा उठाने का. इस जेब को आम भाषा में हम भले ही जेब कहें लेकिन असल में इसका नाम है -गस्सेट (Gusset). यह कोई फैशन ट्रेंड नहीं बल्कि महिलाओं के इंटिमेट हेल्थ और हाइजीन को ध्यान में रखकर बनाया गया एक जरुरी हिस्सा हैं.
क्यों खास है ये 'छोटी जेब'?
महिलाओं की अंडरवियर में मौजूद गस्सेट एक डबल लेयर फैब्रिक होती है, जो आमतौर पर 100% कॉटन की बनी होती हैं. इसका मुख्य काम है नमी को सोखना, बैक्टीरिया से सुरक्षा और वेंटिलेशन बनाए रखना. गर्मी, पसीना या पीरियड्स के दिनों में यह छोटा-सा हिस्सा एक बड़ी सुरक्षा बनकर उभरता हैं.
इसलिए नहीं होती सिली हुई
कभी सोचा है कि ये गस्सेट कई बार 3 किनारों से सिलती है लेकिन चौथी और खुली रहती हैं? दरअसल, यह डिज़ाइन जानबुझकर किया गया है ताकि वेंटिलेशन बना रहे और स्किन को रैशेज़ या इंफेक्शन से बचाया जा सके. यह छोटी जेब दरअसल एक हेल्थ शील्ड हैं.
स्वास्थ्य से जुड़ी ये बातें जानना बेहद जरुरी
गर्मियों में और पीरियड्स के दौरान सिर्फ कॉटन गस्सेट वाली अंडरवियर पहने. फैशन से ज्यादा हाइजीन को प्राथमिकता दें. सिंथेटिक, लेस या फैंसी इनरवियर को कभीकभार पहने या इस्तेमाल करें, रोजमर्रा में आरामदायक विल्कप चुनें. अगर आपको बार-बार यूटीआई या स्किन प्रॉब्लम्स होती है तो सबसे पहले अपनी अंडरवियर कि क्वालिटी और गस्सेट पर ध्यान दें.