संतोष श्रीवास्तव/न्यूज 11 भारत
मेदिनीनगर/डेस्क: दिशोम गुरु शिबू सोरेन का गांव नेमरा इस समय आस्था का तीर्थ बना हुआ है. यह कहना है, झारखंड सरकार के माटी कला बोर्ड के निवर्तमान सदस्य और युवा झामुमो नेता सह संत मरियम स्कूल के चेयरमैन अविनाश देव का. अविनाश देव कहते हैं कि उनका परिवार लम्बे समय से झारखंड मुक्ति मोर्चा के जुड़ा हुआ है. उनके पिता सुदामा पंडित अपनी अंतिम सांस तक झामुमो के साथ जुड़े रहे. पुराने दिनों को याद कर अविनाश करते हैं जब वह छोटे थे, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं उनके घर आना-जाना लगा रहता था. उनकी मां भी पार्टी के लिए इतनी समर्पित हो गयी थीं कि वह कार्यकर्ताओं के लिए रात तक लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती रहती थीं.
अविनाश देव आगे कहते हैं कि तब छोटा होने के कारण यह सब क्या हो रहा है, समझ नहीं पाते थे. दिशोम गुरुजी के संघर्ष को भी वह नहीं समझ पाते थे, मगर गुरुजी के व्यक्तित्व क्या है और उनका संघर्ष क्या था, अब उन्हें समझ आता है. गुरुजी से जब मिलने और आशीर्वाद लेने का अवसर मिला तो मैं धन्य हो गया. गुरुजी ने सिर पर हाथ रखकर कहा था, "तुम बहुत आगे बढ़ोगे, आज मैं जो कुछ भी हूं, उनके ही आशीर्वाद का नतीजा है."
उन्होंने कहा कि जब गुरुजी के अस्वस्थ होने की खबर मिली मेरे दुख की सीमा नहीं रही. 4 अगस्त को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए. इसके बाद पहली बार यह असहास हुआ कि गुरुजी के बिना नेमरा क्या है और नेमरा गुरुजी के लिए क्या है. 5 अगस्त को उनकी अंतिम यात्रा के बाद से नेमरा तो एक तीर्थ स्थल के रूप में बदल गया है. नेता- मंत्री, महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग और नौजवान, सभी गुरुजी को श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं.
अविनाश ने गुरुजी की पसंद का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, गुरुजी को पेड़ा बेहद पसंद था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मेरा आग्रह है कि इसे एक दिन गुरुजी के नाम समर्पित कर दिया जाये. गुरुजी भले आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन गरीबों-मजलूमों के मसीहा के रूप में सभी के दिलों में, विचारों में सदैव जीवित रहेंगे.