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रांची/डेस्क: झारखंड राय विश्वविद्यालय के 5वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार शामिल हुए. अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा कि जोहार! नमस्कार! झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची के 5वें दीक्षांत समारोह में आप सभी के मध्य उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है. यह अवसर केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके अभिभावकों, शिक्षकों और समस्त समाज के लिए भी अत्यंत गौरवपूर्ण है. आज का दिन उन कड़ी मेहनत करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक ऐतिहासिक पल है, जिन्होंने सफलता की ऊँचाइयाँ हासिल की हैं. मैं उन सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ. साथ ही, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को भी बधाई देता हूँ, जिन्होंने इन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दिया और जीवन में हर कठिनाई को पार करने की प्रेरणा दी. आज, 28 फरवरी है, और पूरे देश में 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' मनाया जा रहा है, जो विज्ञान और अनुसंधान के महत्व को उजागर करने का दिन है. इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैं आप सभी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' की भी शुभकामनाएं देता हूँ.
दीक्षांत समारोह केवल एक शैक्षिक घटना नहीं, बल्कि यह हर विद्यार्थी के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है. यह दिन उनके परिश्रम, संघर्ष और समर्पण का उत्सव है. विद्यार्थियों के लिए यह अवसर विशेष रूप से प्रेरणादायक होता है, क्योंकि यह उनके विकास के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारियों का अहसास भी कराता है. जैसे प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो ने कहा था, "शिक्षा आत्मा की जड़ों को निखारने की प्रक्रिया है." आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी उस ज्ञान और कौशल से संपन्न हैं, जो उन्हें न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों को निभाने के लिए भी तैयार करेगा. आज का दिन, आपकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, परंतु यह भी ध्यान रखें कि यह यात्रा कभी समाप्त नहीं होती. आप सभी ने जो सीखा है, वह केवल एक आधार है और जीवन भर आपको और अधिक ज्ञान अर्जित करना है. यह दिन आपके आत्मविश्वास को सुदृढ़ करेगा, क्योंकि यह दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद आप सफलता की ऊँचाई तक पहुँचने में सक्षम हैं.
राज्यपाल ने कहा कि मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी हो रही है कि इस दीक्षांत समारोह में 393 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की जाएगी, जिनमें 122 स्नातकोत्तर और 184 स्नातक विद्यार्थी शामिल हैं. यह विशेष अवसर विद्यार्थियों और उनके परिजनों के लिए भावनाओं से भरा हुआ है. यह एक युग का समापन है और साथ ही साथ नए सफर की शुरुआत भी है. ये उपाधियाँ केवल कागज पर लिखी प्रमाण पत्र नहीं हैं, बल्कि यह आपके संघर्ष, परिश्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं. अब आपको जीवन में अपना मार्ग खुद ढूँढना है और उसे स्थापित करना है. यह अवसर एक चुनौती का भी संकेत है, क्योंकि समाज और राष्ट्र के विकास में आपकी भूमिका और जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होगी. यह उपाधि केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता है कि आप अपनी शिक्षा का इस्तेमाल समाज की सेवा में करेंगे.
इस दीक्षांत समारोह में मुझे विशेष रूप से हमारे देश की बेटियों की उपलब्धियों का उल्लेख करना है. आज 92 बेटियों को डिग्री प्रदान की जा रही है, जिनमें से 10 को पीएचडी की उपाधि मिल रही है. यह हमारी समाज की बेटियों के बढ़ते आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का प्रतीक है. यह दृश्य हमारे समाज के उन पुराने धारणाओं को तोड़ता है, जो कभी महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने के पक्षधर थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान ने महिलाओं के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोले हैं. इसका परिणाम यह है कि आज की युवा पीढ़ी की लड़कियां हर क्षेत्र में अपने कौशल और संकल्प से नई मिसाल पेश कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'विकसित भारत @2047' का दृष्टिकोण हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. प्रधानमंत्री ने इस दृष्टिकोण में यह स्पष्ट किया है कि भारत को 2047 तक एक वैश्विक शक्ति और समृद्ध राष्ट्र बनाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए. इसमें शिक्षा, नवाचार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए युवाओं की सशक्त भागीदारी अनिवार्य है.
जैसे कि भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रामन ने अपनी खोज 'रमन effect' के द्वारा न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को चमत्कृत किया, ठीक उसी तरह हमें अपने युवाओं से उम्मीद है कि वे शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाएंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि झारखंड राय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस दिशा में अपने ज्ञान और कौशल के साथ योगदान देंगे और अपने कार्यों से राष्ट्र को गौरवमयी बनाएंगे. विद्यार्थियों, जीवन में हमेशा सीखने की ललक बनाए रखें. जैसे कि महात्मा गांधी ने कहा था, "जीवन में कभी भी कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, वह हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तत्पर रहता है." यह सीखने की निरंतर प्रक्रिया ही आपको जीवन में सफलता दिलाएगी. अपने कर्मों से आप न केवल अपने परिवार का नाम रोशन करेंगे, बल्कि समाज, राज्य और राष्ट्र का भी नाम गर्व से रोशन करेंगे.
आपके समक्ष कई चुनौतियाँ आती रहेंगी, किन्तु हमेशा याद रखें कि "संघर्ष में ही सफलता की कुंजी होती है." इन्हीं संघर्षों से आपको अपने जीवन के सबसे बड़े अवसर मिलने वाले हैं। इसलिए, चुनौतियों से भागने के बजाय उनका सामना करें, क्योंकि यही आपको महान बनाएगा. हमारे देश की प्राचीन शिक्षा पंरपरा हमेशा ज्ञान और कौशल पर आधारित रही है. हमारे विश्वविद्यालय, जैसे कि झारखंड राय विश्वविद्यालय, राष्ट्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में भी सक्रिय योगदान करते हैं. विश्वविद्यालय के 'इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल' को पिछले चार वर्षों से भारत सरकार द्वारा सराहना मिली है. यह विश्वविद्यालय के छात्रों की वैज्ञानिक और उद्यमिता में सक्रिय भागीदारी का प्रतीक है.
'आत्मनिर्भर भारत' का सपना केवल एक नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन है. हमारे विश्वविद्यालयों को इस दिशा में कार्य करते हुए विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता, नवाचार और उद्यमिता की भावना को मजबूत करना चाहिए. झारखंड राय विश्वविद्यालय ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करने में अपना योगदान देगा. एक शिक्षण संस्थान का असली गौरव उसके विद्यार्थियों से होता है. जब विद्यार्थी सफलता प्राप्त करते हैं, तो उस संस्थान का नाम भी ऊँचा होता है. इसलिए, शिक्षण संस्थान का दायित्व केवल डिग्री देने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे विद्यार्थियों में नवाचार, आत्मनिर्भरता और समग्र व्यक्तित्व के विकास की भावना जागृत करनी चाहिए.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, अब शिक्षा में मूल्य आधारित दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है. यह केवल विद्यानुशासन का कार्य नहीं, बल्कि युवाओं में संस्कारों और नैतिकता का विकास भी है. मुझे विश्वास है कि झारखंड राय विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालय इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा, संस्कार और आत्मनिर्भरता प्रदान कर रहे हैं. अंत में, विद्यार्थियों, आप सभी देश की उम्मीद और भविष्य हैं. जैसे कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा," वैसे ही आप सभी अपने देश को अपने ज्ञान, कड़ी मेहनत और समर्पण से एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बना सकते हैं. आप जिस दिशा में भी कदम बढ़ाएँ, सफलता आपके साथ रहेगी। हमेशा अपने सपनों को साकार करने की दिशा में काम करें और अपनी सफलता की कहानी खुद लिखें. जय हिन्द! जय झारखंड!