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रांची/डेस्क: क्या आप भी सोते समय खर्राटे लेते हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि आप भी स्लीप एपनिया जैसी गंभीर बीमारी का सामना कर रहे हों, जो सिर्फ आपके खर्राटों को ही नहीं, बल्कि आपके दिल और दिमाग को भी खतरे में डाल सकती है. यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ सकती है और यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक जैसे खतरों का कारण बन सकती है.
स्लीप एपनिया नींद की गंभीर बीमारी
अगर लंबे समय से आपको सोते वक्त खर्राटे आते हैं, तो यह एक संकेत हो सकता है कि आपको स्लीप एपनिया है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें सोते समय आपकी सांस रुक जाती है, जिससे आपके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है. इसका असर सिर्फ आपकी नींद पर नहीं, बल्कि आपके दिल और दिमाग पर भी पड़ता है. दिल्ली के प्रसिद्ध पलमोनोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ मित्तल के अनुसार, कभी-कभी खर्राटे आना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अगर यह नियमित रूप से हो रहे हैं, तो आपको स्लीप एपनिया का टेस्ट जरूर कराना चाहिए. एआईआईएमएस दिल्ली की एक रिसर्च में यह पाया गया कि भारत में 13% लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं.
स्लीप एपनिया क्यों होता है?
स्लीप एपनिया के प्रमुख कारणों में वजन बढ़ना और मोटापा शामिल हैं. यह बीमारी शरीर के ओबेसिटी (अत्यधिक मोटापे) के कारण ज्यादा गंभीर हो जाती है. अगर आपको भी सोते समय खर्राटे आते हैं, तो यह जानने के लिए कि क्या आप स्लीप एपनिया से पीड़ित हैं, आपको एक टेस्ट कराना होगा. इस टेस्ट में, मरीज को लैब में सोते हुए अपनी नींद के दौरान दिल और दिमाग की गतिविधियों को मॉनिटर किया जाता है. हालांकि, स्लीप एपनिया के विशेषज्ञों की संख्या भारत में कम है, लेकिन पल्मोनोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट, और कुछ डेंटिस्ट इस बीमारी का इलाज कर सकते हैं.
स्लीप एपनिया का क्या है इलाज?
डॉ. सौरभ मित्तल के अनुसार, स्लीप एपनिया का पूरी तरह इलाज तो संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है. इसके इलाज में एक खास डिवाइस का उपयोग होता है, जिसे सी-पेप (CPAP) कहा जाता है. यह एक मशीन होती है, जिसे नाक पर लगाकर सोते वक्त इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, यह मशीन स्लीप एपनिया को पूरी तरह से ठीक नहीं करती, लेकिन यह खर्राटों और सांस रुकने की समस्या को कम करने में मदद करती है. इस मशीन का इस्तेमाल जीवनभर करना पड़ता है, क्योंकि यह केवल बीमारी को कंट्रोल करती है, ना कि खत्म.
क्यों है स्लीप एपनिया खतरनाक?
जब आप सोते वक्त खर्राटे लेते हैं, तो आपकी ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है. इसका असर आपके दिल और दिमाग की आर्टरीज़ पर पड़ता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं. अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो इससे हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए, अगर आप भी सोते वक्त खर्राटे लेते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और सही इलाज करवाना चाहिए, ताकि आपके दिल और दिमाग पर बढ़ते हुए खतरे से बचा जा सके.
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नोट: दी गई सारी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप कोई भी फैसला उठाने के पहले डॉक्टर से सुझाव जरूर ले.