आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: जंगल से आच्छादित सिमडेगा जिला की बड़ी आबादी के जीवन की आर्थिक संरचना वनोपाद पर निर्भर रहती है. लेकिन इस बार हुए बेमौसम बारिश ने सिमडेगा के वनोपाद को भारी नुकसान पहुंचाया है। जिससे ग्रामीण काफी परेशान हैं.जंगलों पहाड़ों से समृद्ध सिमडेगा जिला वनोपादों से आच्छादित जिला है. यहां के जंगलों में महुआ, इमली, चिरौंजी जैसे व्यावसायिक वनोपाद काफी तादात में मिलते हैं. ये वनोपाद सिमडेगा की बड़ी ग्रामीण आबादी के जीवन का आर्थिक आधार है. बेमौसम बारिश ने वनोपाद को नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीण परेशान हैं. सिमडेगा में मार्च-अप्रैल का माह जंगलों में वनोपाद के फलने फूलने का महीना होता है. महुआ,इमली,चिरौंजी जैसे वनोपादों को जंगलों से इकठ्ठा कर सिमडेगा की बड़ी ग्रामीण आबादी इसका व्यवसाय कर सालभर जीवन यापन करती है। लेकिन इस बार मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश ने सिमडेगा के वनोपाद को काफी नुकसान पहुंचाया है. बारिश और बारिश के दौरान हुए ओलावृष्टि ने महुआ और इमली के उत्पादन घट गए. जिससे इसके भरोसे जीवन यापन करने वाले ग्रामीण काफी परेशान और चिंतित हैं. हालांकि इस बार महुआ का रेट अधिक मिल रहा है लेकिन उपज कम होने से ग्रामीणों को घाटा हो रहा है.
जलडेगा के ग्रामीण सुगड़ जोजो ने कहा कि इस वर्ष महुआ और इमली की पैदावार कम हुई थी. उसपर बेमौसम बारिश ने महुआ और इमली सहित चिरौंजी को काफी क्षति पहुंचाई है. जिससे वनों में महुआ सहित अन्य वनोपाद नहीं मिल रहे हैं. जलडेगा के ग्रामीण अजय कुमार ने कहा कि अन्य वर्षों में इसी वनोपाद को बेचकर उनका छह महीने तक भोजन पानी चलता था. लेकिन इस बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दी है. अब कैसे गुजारा होगा. इसकी चिंता ग्रामीणों को सता रही है. वनोपाद कम होने से बाजार में भी महुआ और इमली कम आ रहे हैं. जिस कारण ग्रामीण स्तर के व्यवसाई भी परेशान हैं. क्योंकि ये व्यवसाई भी इसी वनोपाद के व्यवसाय के भरोसे रहते हैं. गांगुटोली के वनोपाद व्यवसाई संजीव कुमार साहू ने कहा कि वनोपाद उनके व्यापार का आधार है लेकिन इस बात महुआ और इमली काफी कम बाजार तक आ रहा है. जिससे इसका मूल्य भी अधिक हो गया है. लेकिन वनोपाद कम आयेगा तो उनका व्यापार इस बात काफी घाटे में रहेगा. बेमौसम बारिश ने वनोपाद को नुकसान पहुंचा कर ग्रामीण और ग्रामीण स्तर के व्यवसाई दोनों की आर्थिक संरचना को नुकसान पहुंचाया है. अब इन वनोपाद के भरोसे जीवन यापन चलाने वाले ग्रामीणों को सालभर मुश्किलों से गुजरना होगा.

