अजित कुमार/न्यूज़11 भारत
लातेहार/डेस्क: अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शशि भूषण शर्मा की अदालत ने जेट्रोफा की खेती के नाम पर सरकारी राशि का घोटाला करने का आरोपी तत्कालीन मनिका प्रखंड विकास पदाधिकारी साधना जयपुरियार समेत तीन को तीन-तीन वर्षों की सश्रम कारावास एवं 50-50 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाया है.
बता दें कि वर्ष 2010 में जिले के मनिका प्रखंड में जेट्रोफा प्लांटेशन के नाम पर व्यापक घोटाला किया गया था. ग्राम विकास सेवा समिति एनजीओ के अध्यक्ष रामप्रवेश यादव एवं सचिव सत्येंद्र यादव और तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी साधना जयपुरियार के खिलाफ मनिका थाना कांड संख्या 76/10 भादवि की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मामला तत्कालीन उप विकास आयुक्त सीपी बाखला ने दर्ज कराया था.
अभियोजन पदाधिकारी अशोक कुमार दास के अनुसार सरकारी रुपए की बंदर-बांट करने का आरोप जेट्रोफा खेती के नाम पर अदालत में साबित हुआ. इसके उपरांत शशि भूषण शर्मा की अदालत ने आरोपियों को सजा सुनाया है. साधना जयपुरियार वर्तमान में रांची जिले में कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर पदस्थापित हैं. आज खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनने के बाद साधना जयपुरियार एवं अन्य आरोपियों की आंखें भर आई उन्होंने अपने को निर्दोष बताते हुए अपीलीय कोर्ट में अपील करने हेतु अर्जी पेश की. अदालत ने उन्हें जिसकी सुनवाई करते हुए 30 दिनों की औपबंधिक जमानत प्रदान कर दी.
क्या है मामला
मनिका प्रखंड के दुंदु एवं माइल ग्राम में वर्ष 2010 में जेट्रोफा प्लांटेशन के नाम पर करीब 500 एकड़ जमीन पर खेती करने का जवाबदेही चंदवा प्रखंड की स्वयंसेवी संस्था ग्राम विकास सेवा समिति को दिया था. आवंटित क्षेत्रफल में समिति के द्वारा खेती न कर सिर्फ खानापूर्ति की गई थी. जिसकी सुनवाई के उपरांत मामला सत्य पाया गया और इस मामले में तत्कालीन दो प्रखंड विकास पदाधिकरियों साधना जयपुरियार, अनिल कुमार समेत दो एनजीओ ग्राम विकास सेवा समिति चंदवा और झारखंड विकास मोर्चा धनबाद के खिलाफ दो अलग-अलग मनिका थाना कांड संख्या 75/10 एवं 76/10 प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. दोनों मामलों का विचारण शशि भूषण शर्मा की अदालत में चल रहा है. मनिका थाना कांड संख्या 76/10 जीआर कांड संख्या 616/ 10 की सुनवाई पूरी होने पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
क्या है जेट्रोफा
ईंधन के विकल्प के रूप में जेट्रोफा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बीज से तेल निकाला जाता है. परिष्कृत कर इस तेल को बायोडीजल तैयार किया जाता है. विभिन्न मशीनों को चलाने में इसका उपयोग किया जाता है. इससे रेल इंजन भी छत्तीसगढ़ में चलाया जा रहा है. इसी से प्रेरित होकर जिला प्रशासन द्वारा यहां भी जेट्रोफा की खेती करने का निर्णय लिया गया था और मनिका प्रखंड समेत कई प्रखंडों में इस खेती की शुरुआत की गई थी हालांकि जिले में कहीं भी जेट्रोफा की खेती सफल नहीं हुई.