कृपा शंकर/ न्यूज11 भारत
बोकारो/डेस्क : मसीहा बनने की होड़ मची है. बात पर की आम जनता के लिए कौन नेता व जनप्रतिनिधि सक्रिय हैं. एक ओर प्रचंड गर्मी का तांडव है तो दूसरी ओर बिजली आपूर्ति की लचर व्यवस्था ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. बिजली के अभाव में लोग पानी के लिए तरस रहे है. वहीं, सूरज की तपिश शरीर के पानी को निकालता जा रहा है. ऐसे में बोकारो की जनता हर दिन हर पल बेबसी में जीने को विवश है. बिजली की आंख मिचौली और पानी की समस्या से परेशान जनता सड़कों पर उतरने लगी. तब राजनेताओं की नींद खुली.
जनता से श्रेय लेने की होड़ में नेता, कर रहे बयानबाजी
राजनेताओं की तंद्रा निंद्रा भंग होते ही बयानबाजी का दौर चल पड़ा. जनता के सामने मुद्दा पर राजनीति कर मसीहा बनने की होड़ मची. कोई राज्य सरकार को कोसने लगा, कोई केंद्र को, किसी ने विधायक पर कसा तंज तो किसी ने नेता प्रतिपक्ष पर उठाया सवाल. इस राजनीतिक शोर गुल द्वारा जनता का ध्यान उनके मूलभूत समस्या से हटाकर, राजनीतिक मनोरंजन में बोकारो के सारे किरदार जुट गए. लेकिन जन समस्या अपनी जगह पर कायम है. जनता की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. बदहाल जनता की समस्या समाधान भले ही देर से हो लेकिन नेताओं की बयानबाजी से उसका मनोरंजन जरूर हो रहा है.
बोकारो की लचर बिजली व्यवस्था को सत्ता और विपक्ष के नेता आमने सामने
कांग्रेस नेत्री स्वेता सिंह ने 31 मई को पानी और बिजली की समस्या को लेकर सबसे पहले अपनी आवाज बुलंद की थी. वहीं, 13 मई को नेता प्रतिपक्ष, धनबाद लोकसभा सांसद तथा बोकारो विधायक तथा डीसी की उपस्थिति में हाई प्रोफाइल बैठक कर बिजली पानी व्यवस्था को जल्द दुरुस्त करने की बात कही गई. इस बैठक के बाद बोकारो का सियासी पारा चढ़ने लगा. विपक्ष ने लचर बिजली व्यवस्था के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. इधर सत्ता पक्ष के नेताओं ने बोकारो विधायक को एसी कमरे बैठ कर राजनीति करने वाला नेता करार दिया. एसी कमरे से बाहर निकल कर जनता से रुबरू होने की बात कही. हालांकि जनता को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की बिजली व्यवस्था के लिए केंद्र जिम्मेवार हैं या राज्य सरकार. जनता को मतलब है सुव्यवस्थित बिजली व्यवस्था से.