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सिमडेगा/डेस्कः- बरसात जहां एक तरफ किसानों और अन्य लोगों के लिए तपती गर्मी से राहत और खेती का संदेश लेकर आती है. वहीं सिमडेगा जिले के गेनमेर टोंगरी टोली गांव के लिए यही बरसात हर वर्ष डर, दर्द और खतरे की कहानी बन जाती है.
सिमडेगा के बानो प्रखंड का गेनमेर टोंगरी टोली गांव जहां बरसात का बादल अपने साथ डर लेकर आती है.दरअसल बानो प्रखंड के गेनमेर पंचायत का टोंगरी टोली गांव में लगभग 40 घर हैं. जहां हर साल बरसात आते ही पूरा गांव दुनिया से कट जाता है. तेज बहाव वाले गहरे नाले के कारण यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है. गांव तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क या पुल नहीं है. नाले को पार करना यहां के ग्रामीणों के लिए रोजमर्रा की मजबूरी है, जो कई बार जानलेवा साबित हो चुकी है. गांव में एक उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय है. जहां पढ़ने के लिए बच्चों को नाले के पार जाना पड़ता है. बारिश के मौसम में जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि कई दिनों तक स्कूल बंद करना पड़ता है. स्कूल के शिक्षक हिलरयस कुंडलना अपनी मोटरसाइकिल नाले के दूसरी ओर खड़ी कर, पैदल पानी और कीचड़ से होते हुए स्कूल पहुंचते हैं. कई बार उन्हें छोटे बच्चों को गोदी में उठाकर नाले के पार कराना पड़ता है.
छात्र हेमंत बूड़ बताता है कि पानी ज्यादा हो तो डर लगता है, कभी गिर भी सकते हैं. हम चाहते हैं कि पुल जल्दी बने. छात्रा सुबानि जोजो का कहना है, “पढ़ाई करने का मन है, लेकिन पानी इतना तेज होता है कि स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है.
गांव की महिला लक्ष्मी देवी बताती हैं, अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे खटिया में लादकर नाले के पार ले जाना पड़ता है. कई बार पानी का बहाव इतना तेज होता है कि हम डर जाते हैं कि कहीं बीच में हादसा न हो जाए.”
ग्रामीण सुरेश सिंह कहते हैं, “गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना सबसे कठिन होता है. बरसात में यह नाला मौत का रास्ता बन जाता है.
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में नाले पर करने के दौरान हुई है घटनाएं. कुछ साल पहले गांव के ही एक व्यक्ति की नाले में बह जाने से मौत हो चुकी है. इस घटना के बाद ग्रामीणों ने पुल की मांग तेज की थी, लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
गांव के गुरुचरण सिंह बताते हैं हमने विधायक से सांसद तक आवेदन दिया. चुनाव के वक्त सभी नेता पुल का वादा करते हैं, लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं. हर साल बरसात में हम फंस जाते हैं.
गेनमेर पंचायत की मुखिया अनीता डांग कहती हैं, “यहां सिर्फ रास्ता नहीं, पूरी जिंदगी अटकी है. गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा खराब होती है. पूर्व विधायक भी वादा कर गए थे, लेकिन आज तक पुल नहीं बन पाया. उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द पुल का निर्माण करने की गुहार लगाई है.
बरसात के दिनों में ग्रामीण नाले के पानी का बहाव कम होने का इंतजार करते हैं. इस इंतजार में बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, बीमारों का इलाज टल जाता है और रोजमर्रा की ज़रूरतें अधूरी रह जाती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुल बन जाने से न सिर्फ उनकी दिक्कतें खत्म होंगी, बल्कि बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होगा.
टोंगरी टोली में पुल का निर्माण सिर्फ बुनियादी ढांचे का काम नहीं होगा, यह वहां के लोगों की जान, उनकी पढ़ाई और उनके सपनों को सुरक्षित किनारे तक पहुंचाने वाली डोर बनेगा.