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रांची/डेस्क: क्या आप जानते हैं प्रभु श्रीराम भी अपने वनवास काल के दौरान झारखंड की धरती पर पधारे थे, यह बात शायद की आप में से किसको पता हो. बता दें, भगवान श्रीराम लोहरदगा की धरती से गुजरे थे. इसके पौराणिक एवं पवित्र साक्ष्य जिले के कुडू एवं सेन्हा प्रखंड के अलग-अलग स्थानों से मिलते है. सेन्हा प्रखंड के चितरी दांडू कोयल नदी के किनारे पर पत्थरों में जानकी यानी की सीता मां के पदचिह्न अंकित है. इसके साथ ही यहां विशेष लिपि में प्रतीक चिन्ह देखने को मिलते है.
दामोदर नदी भगवान के आगमन की कहानी कहती है
बता दें, यहां कोयल नदी के किनारे पर एक ऐतिहासिक शिव मंदिर भी है. प्रत्येक वर्ष यहां पर मकर संक्रांति के मौके पर मेला भी लगाया जाता है. बता दें, भगवान राम और मां सीता के दर्शन के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते है. ये परंपरा सालों से चली आ रही है. इसके साथ ही जिले के कुडू प्रखंड के सलगी पंचायत अंतर्गत चूल्हापानी में भी भगवान श्रीराम और माता सीता के आगमन का प्रमाण मिलता है.
दामोदर नदी खुद इसका एक उदाहरण है. लातेहार जिले के जंगलों के बीच लोहरदगा और लातेहार जिले की सीमा पर चुल्हापानी गांव से करीब 32 किलोमीटर दूर कुडू प्रखंड के सलगी पंचायत में एक पेड़ की जड़ से दामोदर नदी की पतली धारा निकल रही है. यहां माता सीता और भगवान श्री राम के आगमन की कहानी बताती है.
माता सीता ने चूल्हे पर खाना बनाया था
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान इस स्थान से गुजरे थे. तब से यहां मां सीता ने चूल्हा तैयार किया और भगवान के लिए भोजन तैयार किया. यहीं पर बाद में भगवान के आशीर्वाद से दामोदर नदी की धारा निकली. जो आज विशाल दामोदर नदी का रूप ले चुकी है. इसके अलावा जिले के कई इलाकों में भगवान श्रीराम के आगमन की कथा कहीं-कहीं सुनी जाती है.