न्यूज11 भारत
रांचीः झारखंड सरकार ने कल्याण मंत्री चंपई सोरेन के पूर्व पीए प्रेमलाल मेहरा के खिलाफ विभागीय कार्रवाही शुरू कर दिया है. कार्मिक, प्रशासनिक और राजभाषा सुधार विभाग की तरफ से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने की कार्रवाही शुरू कर दी है. प्रेमलाल मेहरा फिलहाल उत्पाद विभाग में पदस्थापित हैं. प्रेमलाल मेहरा पर कल्याण विभाग में रहते हुए वित्तीय अनियमितता और आदेशों का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है. इनके खिलाफ शुरू किये गये विभागीय कार्यवाही के लिए आइएएस अधिकारी रामाकांत सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया है. इन पर लगे आरोपों के खिलाफ जो स्पष्टीकरण मांगा गया था, उस पर अनअपेक्षित जवाब नहीं मिल पाया. अपने बचाव में प्रशाखा पदाधिकारी ने जो जवाब दिया था, और जो बयान दिया, उसे अस्वीकारते हुए यह कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. बताया जाता है कि मंत्री चंपई सोरेन के दूसरे कार्यकाल में इन पर एक करोड़ से अधिक के वित्तीय अनियमितता और योजनाओं को स्वीकृत कराने का आरोप लगा है.
इस संबंध में न्यूज11 भारत ने इनके मोबाइल पर कई बार संपर्क कर उनसे पक्ष लेने की कोशिश भी की, पर उनका मोबाइल हमेशा स्विच ऑफ मिला. जानकारी के अनुसार प्रेमलाल मेहरा लंबे समय तक कल्याण विभाग में सेक्शन ऑफिसर थे. ये तत्कालीन कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के अलावा वर्तमान मंत्री चंपाई सोरेन के साथ काम कर चुके हैं. मंत्री चंपाई सोरेन ने वित्तीय अनियमितताओं को लेकर हाल ही में इन्हें अपने आवासीय कार्यालय से इनकी सेवाएं कार्मिक प्रशासनिक विभाग को वापस कर दी थी. 2019 दिसंबर के बाद से लेकर 2021 के मई-जून तक ये कल्याण मंत्री के आवासीय कार्यालय में बतौर पीए कार्यरत थे. वर्तमान में ये उत्पाद विभाग में हैं.
कई अनियमितताओं के साक्षी रहे हैं प्रेमलाल मेहरा
प्रेमलाल मेहरा कल्याण विभाग की तरफ से संचालित आवासीय विद्यालयों में आवंटन के अलावा कई महत्वपूर्ण योजनाओं को देखते थे. तत्कालीन मंत्री लुईस मरांडी के कार्यकाल में रातू स्थित कमड़े आवासीय विद्यालय के रंग-रोगन के 45 लाख के कार्य का भुगतान भी जयपुर की एक कंपनी को नहीं हो पाया था. जानकारी के अनुसार उस समय विभागीय मंत्री के मुजबानी आदेश के आधार पर जयपुर की कंपनी पीआरएस इंटरनेशनल को काम दिया गया था.
यह कार्य पूरा होने के बाद जब कंपनी ने अपना पैसा मांगना शुरू किया, तब भुगतान की प्रक्रिया को लेकर योजना की तकनीकी सहमति, प्रशासनिक स्वीकृति और अन्य की कार्रवाही शुरू की गयी. काम होने के चार वर्षों बाद भी कंपनी का भुगतान नहीं हो पाया. तब भी प्रशाखा पदाधिकारी प्रेमलाल मेहरा ही थे. इन्होंने फाइल कई बार बढ़ायी. पर तीन बार विभागीय सचिव बदल गये और तीन बार मंत्री भी बदल गये. प्रशाखा पदाधिकारी को कई बार कंपनी ने उपकृत भी किया. पर काम नहीं हुआ. इसके अलावा कई और योजनाएं भी हैं, जिसे प्रेमलाल मेहरा ने बतौर पीए उस पर विभागीय मंत्री की अनअधिकृत तौर पर सहमति लेकर अपना लाभ ले लिया.