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झारखंड


Deori Temple: किसी ने नहीं देखा है 700 वर्ष पुराने इस प्राचीन मंदिर को बनते, पौराणिक कहानियों को सुनकर रह जाएंगे दंग

Deori Temple: किसी ने नहीं देखा है 700 वर्ष पुराने इस प्राचीन मंदिर को बनते, पौराणिक कहानियों को सुनकर रह जाएंगे दंग

न्यूज11 भारत


रांची/डेस्कः झारखंड की पहचान यहां के जंगल और पहाड़ से है. यहां हर तरफ प्रकृति और हसीन वादियां मौजूद हैं जो आपके मन को मोह लेगा. यहां की आदिवासी लोक संस्कृति और लोक कला इस राज्य को और भी विशिष्ट बनाती हैं. वहीं यहां हिन्दू धर्म के कई पर्यटनस्थल भी मौजूद हैं. यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनका काफी पौराणिक महत्व है. इन मंदिरों से जुड़ी कई रोचक कथाएं हैं जिन्हें सुनकर आप दंग रह जाएंगे. ऐसी ही एक मंदिर रांची-जमशेदपुर हाइवे में स्थित दिउड़ी मंदिर है. 

 

16 भुजाओं वाली मां की साढ़े तीन फुट ऊंची प्रतिमा है स्थापित 

दिउड़ी मंदिर का नाम हर झारखंडवासी की जुबान पर रहता है. यहां के लोग मौका मिलने पर मां काली के इस प्रसिद्ध मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते हैं. खुद रांची के राजकुमार महेंद्र सिंह धौनी हमेशा इस मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मानोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी वजह से झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. यह मंदिर रांची और आसपास के इलाकों में अपनी एक विशेष पहचान बना चुका है. इस मंदिर में 16 भुजाओं वाली मां काली की करीब साढ़े तीन फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि अन्य मंदिरों में इतनी भुजाओं वाली प्रतिमा नहीं होती है. अन्य मंदिरों में मां काली की आठ या दस भुजाओं वाली प्रतिमा ही होती है. 


मंदिर को लेकर कई तरह की काथा प्रचलित 

दिउड़ी मंदिर को लेकर कई तरह की रोचक कहानियां प्रचलित हैं. स्थानीय लोग दावा करते हैं कि यह मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना है. बताया जाता है कि 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर का निर्माण किया गया था. हालांकि, कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण को होते हुए किसी ने नहीं देखा था. एक प्रचलित पौराणिक कहानी के अनुसार 700 वर्ष पहले एक भक्त को सपने में यह मंदिर दिखाई दिया. सुबह उठकर वह भक्त जंगलों में मंदिर की खोज  में जुट गया. काफी खोजबीन करने पर उसे घने जंगलों के बीच एक मंदिर नजर आया. वह इसे देखकर दंग रह गया. उसने इस बात की जानकारी ग्रामीणों को दी. दिउड़ी मंदिर को लेकर एक दूसरी कहानी भी प्रचलित है. मंदिर के पुजारी की मानें तो तमाड़ इलाके में केरा नामक एक राजा हुआ करते थे. वह एक युद्ध में हार के बाद अपने घर वापस लौट रहे थे. इस दौरान आराम करने के दौरान उनके सपने में देवी ने दर्शन दिया. देवी ने राजा से कहा कि वह देवी की एक मंदिर का निर्माण करवाएं. इसके बाद राजा केरा ने देवी की एक मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर का निर्माण होते ही राजा को उनका राज्य दोबारा वापस मिल गया. 


 

रांची-टाटा हाइवे पर स्थित है दिउड़ी मंदिर 

दिउड़ी मंदिर रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर रांची-टाटा मुख्य मार्ग पर तमाड़ नामक जगह पर स्थित है. यहां पहुंचना के कई साधन हैं. यहां पहुंचने के लिए आपको हर क्षण रांची से बस मिल जाएंगी. साथ ही आप अपनी खुद भी सड़क मार्ग से जा सकते हैं. तमाड़ के पास जैसे ही आप ओवरब्रिज पर चढ़ेंगे, आपको दिउड़ी मंदिर का गुंबद नजर आने लगेगा. इसी ओवरब्रिज के नीचे से एक रास्ता मंदिर को जाता है. यहां स्थापित मां काली की प्रतिमा ओडिशा की मूर्ति कला पर आधारित है. इस मंदिर का निर्माण पूर्व मध्यकाल में करीब 1300 ई. में हुआ होगा. 

 


 

 
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