प्रशांत शर्मा
हजारीबाग/डेस्क। हजारीबाग के विभिन्न गांवों में इन दिनों दीपावली व छठ को देखते हुए सभी लोग साफ- सफाई में जुट गए हैं। वहीं मिट्टी के दीए बनाने में गांवों के कुम्हार अपनी कलाकारी में जुटकर दिए तैयार करने में लग गए हैं। इस तरह से दीया निर्माण का कार्य व मिट्टी के अन्य बर्तन बनाने को लेकर कार्य चरम पर पहुंच चुका है और इस कार्य में जुड़े कुम्हार अपनी पूरी निष्ठा से दिन-रात एक करके पूरे परिवार के साथ मिलकर मिट्टी का दिया बनाने में जुटे हैं। इसके अलावा छठ में आवश्यक मिट्टी के बर्तन बनाने में जुटे हैं। जिससे छठ पर्व की मांग को पूरा किया जा सकें । कुम्हारटोली के खिरोधर प्रजापति ने बताया कि इस आधुनिक दौर में लोग अब पुरानी परंपरा व संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, अपनी संस्कृक्ति को बढ़ावा देने के बजाए आज लोग चाईनीज, जापानी मिनी झालर लाइट खरीद रहे हैं और फैंसी बल्ब की खरीदारी कर अपने पर्व त्यौहार मनाने में लगे हुए हैं। इसके फलस्वरूप हम लोगों को आज साल भर में एक माह भी रोजगार मिल जाए तो काफी है। बाकी अन्य दिनों में पैतृक पेशा दीया बनाने में लगे हुए हैं। इसके अलावा छठ में आवश्यक मट्टी के बर्तन बनाने में जुटे हुए हैं, जिससे छठ महापर्व में मांग को पूरा किया जा सकें बताया की अन्य दिनों में पैतृक पेशा छोड़कर हमें अपने रोजगार के लिए मजदूरी या अन्य कार्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। जब कभी राष्ट्रीय स्तर पर चीन निर्मित मिनी बल्ब का झालर लाइट आदि के बहिष्कार से कुछ उम्मीद जगती है तबतक घर बैठे उनके बच्चे ऑनलाइन शॉपिंग कर बैठते हैं। इससे हमें कई बार नुकसान होता है। मालूम हो की कार्तिक माह की शुरुआत होते तथा दीपावली, छठ को आते देख अब बाजार के साथ-साथ चौक चौराहों की चहल-पहल बढ़ने लगी है, लोग अपने घरों की साफ़ सफाई करने में व्यस्त दिखने लगे हैं। वहीं कार्तिक माह की शुरुआत होते ही छठ पूजा के गाने, अब हमारे कानों तक आने लगी है।
घुट-घुटकर जीने को मजबूर : खिरोधर
आज लोग घर बैठे चाईनीज लाइट दीपावली में मंगाकर घर को सजा रहे हैं। आज हम आधुनिक युग में घुट- घुटकर जीने को मजबूर हैं और अपने संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। फिर भी हमलोग अपने पैतृक पेशा को बरकरार रखने के लिए दीया आदि मिट्टी के बर्तन बाजार सहित गांव में घर-घर जाकर बेचने में लगे हुए हैं।