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रांची/डेस्क: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक के दौरान झारखंड के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार से सक्रिय सहयोग की आवश्यकता जताई. बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सहकारी संघवाद (cooperative federalism) की भावना से आगे बढ़ने का आह्वान किया और कहा कि राज्य सरकार द्वारा रखी गई मांगें झारखंड के लोगों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में निर्णायक साबित होंगी.
केंद्र सरकार के समक्ष रखीं 31 अहम मांगें
मुख्यमंत्री सोरेन ने बैठक में झारखंड की ओर से 31 प्रमुख मांगें केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत कीं. इनमें कई रणनीतिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे से जुड़ी पहलें शामिल थीं.
बड़ी मांगें:
- कोल रॉयल्टी की वसूली: मुख्यमंत्री ने कोल कंपनियों से 1.40 लाख करोड़ रुपये की लंबित रॉयल्टी की तत्काल वसूली की मांग की.
- 'मंईयां सम्मान योजना': 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रतिमाह ₹2500 की आर्थिक सहायता देने वाली इस नई योजना के लिए केंद्र के समर्थन की अपील की गई.
- ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना: राज्य में जनजातीय विश्वविद्यालय (Tribal University) की स्थापना के लिए केंद्र से वित्तीय और संस्थागत सहयोग मांगा गया.
- रांची मेट्रो परियोजना: रांची मेट्रो जैसे अधोसंरचना प्रोजेक्ट्स के शीघ्र क्रियान्वयन की आवश्यकता को रेखांकित किया गया.
अन्य अहम प्रस्ताव:
- पर्यटन और ग्रामीण विकास: मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और विकास के लिए केंद्र की विशेष योजनाएं शुरू करने की मांग की.
- एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा: स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने और गांवों की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए एमएसएमई सेक्टर में निवेश की मांग की गई.
- डीएमएफटी नीति में सुधार: खनन प्रभावित जिलों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) नीति में बदलाव कर स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने की वकालत की.
- शिक्षा और स्वास्थ्य: राज्य के शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी सुधारों के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता और नीति-निर्माण सहयोग की अपेक्षा जताई गई.
बैठक में झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. मुख्यमंत्री सोरेन की मांगों को क्षेत्रीय संतुलन और समावेशी विकास की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है.