प्रमोद कुमार/न्यूज़11 भारत
बरवाडीह/डेस्क: मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत बकरा विकास योजना का उद्देश्य पशुपालकों को आर्थिक सहायता और आत्मनिर्भरता प्रदान करना हैं. इस योजना के तहत लाभुकों को 4 बकरियां और 1 बकरा (4+1) दिए जाने का प्रावधान है लेकिन हाल ही में इस योजना के तहत वितरित किए जा रहे पशुओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं.
कमजोर पशुओं के कारण लाभुकों में रोष
छिपादोहर पंचायत के बारीचट्टान गांव से आई अनिता देवी, मनिता देवी, प्रमिला देवी और देवमुनि देवी जैसे कई लाभुकों ने योजना के तहत दिए जा रहे पशुओं की गुणवत्ता पर नाराजगी जताई हैं. उनका कहना है कि उन्हें जो बकरियां और बकरा दिया जा रहा है, वे बेहद कमजोर, बीमार और कम वजन के हैं. लाभुकों ने स्पष्ट रूप से ऐसे पशुओं को लेने से इनकार कर दिया क्योंकि इनसे किसी भी तरह का लाभ उठाना असंभव हैं.
प्रशासन की अनदेखी
मौके पर मौजूद प्रखंड पशुचिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए कहा कि जिन लाभुकों को पशु नहीं मिला है, उन्हें अगले चरण में पशु उपलब्ध कराया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि पहले चरण में दिए गए कमजोर और बीमार पशुओं की जिम्मेदारी कौन लेगा.
नेताओं का आरोप: ठेकेदार की लापरवाही
जेएमएम प्रखंड अध्यक्ष अफजल अंसारी ने विभागीय लापरवाही और ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सप्लायर द्वारा लाए गए पशु बेहद कमजोर और बीमार हैं. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि ठंड के मौसम में ये पशु जीवित नहीं रह पाएंगे और योजना का लाभ लाभुकों तक नहीं पहुंच पाएगा.
लाभुकों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह योजना पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई थी लेकिन कमजोर और बीमार पशु वितरित करने से इसका उद्देश्य ही विफल हो जाएगा. लाभुकों ने सरकार से मांग की है कि:
1. योजना में दिए जा रहे पशुओं की गुणवत्ता की जांच की जाए.
2. ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई हो.
3. लाभुकों को स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले पशु उपलब्ध कराए जाएं.
सरकार से न्याय की मांग
लाभुकों का कहना है कि यदि सरकार इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो योजना का लाभ गरीब और जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाएगा. सरकार से यह भी अपील की गई है कि इस योजना की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए, ताकि लाभुकों का विश्वास बहाल हो सके. बकरा विकास योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देना और आर्थिक स्थायित्व प्रदान करना है लेकिन कमजोर और बीमार पशुओं की आपूर्ति ने इस उद्देश्य को खतरे में डाल दिया हैं. लाभुकों और स्थानीय नेताओं की मांग है कि योजना की खामियों को तुरंत सुधारकर इसे सफल बनाया जाए.