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रांची/डेस्क: इस हड़ताल का आयोजन 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगी संगठनों के मंच द्वारा किया जा रहा है. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की मजदूर, किसान और राष्ट्रविरोधी नीतियों का विरोध करना है. बता दें कि इससे पहले साल 2020, 2022 और 2024 में भी इसी प्रकार के राष्ट्रीय हड़ताल हुए थे, जिनमें लाखों श्रमिकों ने श्रमिक-हितैषी नीतियों की मांग के लिए सड़कों पर प्रदर्शन किया था.
इन चीजों पर पड़ेगा असर
यह दुनिया की सबसे बड़ी आम हड़तालों में से एक होगी. आज बुधवार (9 जुलाई) को केंद्र सरकार की श्रम और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 17 सूत्रीय मांगों के साथ दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों और सैकड़ों स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशभर के करोड़ों कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे. वहीं, आज हड़ताल के चलते बैंक, बीमा, राज्य, केंद्र, बीएसएनएल, आयकर, डाकघर, कोयला, रक्षा, आशा-उषा, आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन कर्मी, चिकित्सा प्रतिनिधि, खेत, खदान, खलिहान, भवन निर्माण, सामाजिक उपक्रमों और अन्य संस्थानों में कार्य पूरी तरह से ठप रहेगा. हालांकि, स्कूल और कॉलेज, निजी दफ्तर और ट्रेन सेवाएं खुली रहेंगी.
क्यों हो रही हड़ताल
बता दें कि "भारत बंद" का आह्वान देश की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर किया है. उनका कहना है कि सरकार केवल बड़े कॉरपोरेट्स के हित में कार्य कर रही है, जबकि आम आदमी की नौकरी, वेतन और सुविधाएं घटती जा रही हैं. इसके साथ ही, सरकार लेबर कानूनों को कमजोर करके यूनियनों की शक्ति को समाप्त करना चाहती है. इसके अलावा, सरकार की नीतियां कर्मचारियों और किसानों के खिलाफ भी हैं. यूनियनों का कहना है कि उन्होंने पिछले वर्ष श्रम मंत्री को 17 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिनमें ये प्रमुख हैं:
-बेरोजगारी दूर करने के लिए नई भर्तियां शुरू की जाएं
-युवाओं को नौकरी मिले, रिटायर्ड लोगों की दोबारा भर्ती बंद हो
-मनरेगा की मजदूरी और दिनों की संख्या बढ़ाई जाए
-शहरी बेरोजगारों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू हो
-निजीकरण, कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड नौकरी और आउटसोर्सिंग पर रोक लगे
-चार लेबर कोड खत्म हों, जो कर्मचारियों के हक छीनते हैं
-मूलभूत जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और राशन पर खर्च बढ़े
-सरकार ने 10 साल से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया.
भारत बंद में कौन-कौन है शामिल
भारत बंद के इस हड़ताल को 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन (SEWA), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF), यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, संयुक्त किसान मोर्चा और रेलवे, NMDC लिमिटेड, स्टील उद्योग, तथा उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के 27 लाख कर्मचारी भी इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं. ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA) और बंगाल प्रोविंशियल बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन ने भी बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों के कर्मचारियों की भागीदारी का उल्लेख किया है.