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रांची/डेस्क: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा रांची जिला के कांके प्रखण्ड के चामगुरू गांव में शनिवार को राष्ट्रीय बकरी दिवस का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख संक्रामक रोग पीपीआर से बचाव के लिए 71 किसानों की कुल 593 बकरियों का टीकाकरण किया गया.
किसानों को संबोधित करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने बेहतर उत्पादकता और लाभ के लिए बकरियों के प्रजनन, पोषण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन में वैज्ञानिक तकनीक अपनाने पर बल दिया. उन्होंने पशुओं की पोषण आवश्यकता की पूर्ति के लिए हरा चारा उगाने तथा आधुनिक बकरीपालन सम्बन्धी आवश्यक परामर्श प्राप्त करने के लिए रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय के सतत संपर्क में रहने का सुझाव पशुपालकों को दिया.
निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह, अधिष्ठाता पशुचिकित्सा संकाय डॉ एमपी गुप्त, प्रसार शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ अलोक कुमार पाण्डेय, झारखण्ड सरकार के पशुपालन अधिकारी डॉ सरोज कुमार ठाकुर तथा बकरी परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ नंदनी कुमारी ने भी किसानों को संबोधित किया. विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार, डॉ शैलेन्द्र कुमार रजक तथा डॉ दिलीप कुमार यादव के मार्गदर्शन में वेटनरी विद्यार्थियों ने टीकाकरण कार्यक्रम चलाया. राष्ट्रीय बकरी दिवस आयोजन आइसीएआर की अखिल भारतीय बकरी सुधार अनुसंधान परियोजना के तहत किया गया था. दो दवा कंपनियों- जेन एक्स तथा न्यूट्रीवेट द्वारा 60 किसानों को पशुओं के लिए उपयोगी दवाएं निःशुल्क वितरिक की गयीं.
प्रौद्योगिकी-आधारित बकरीपालन विषय पर विद्यार्थियों के लिए आयोजित भाषण प्रतियोगिता में आरवीसी के राजदीप, निहाल श्रीवास्तव तथा राहुल शर्मा को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया. स्थानीय महिला कृषकों- बचिया देवी, पौंडो देवी तथा रिशा उरांव को बकरीपालन में विशिष्ट योगदान के लिया सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का सञ्चालन निहाल श्रीवास्तव ने किया.
पंद्रह (15) करोड़ से अधिक की आबादी के साथ बकरी भारत के पशुपालन क्षेत्र का महत्वपूर्ण घटक है जो भूमिहीन, सीमान्त और छोटे किसानों को आजीविका का साधन प्रदान करता है. कम विनियोग आवश्यकताओं, छोटी पीढ़ी अंतराल, कठोर कृषि-जलवायु परिस्थितियों के प्रति अनुकूलता के कारण बकरीपालन मांस, दूध, खाद, फाइबर और रोजगार का अनुकूल स्रोत है. उत्पादन एवं लाभ बढाने के उद्देश्य से हाल के वर्षों में युवा और उद्यमी काफी संख्या में देश की श्रेष्ठ प्रजातियों और ग्रेडेड अप स्थानीय नस्लों से युक्त व्यावसायिक बकरी फ़ार्म स्थापित करने की और आकर्षित हुए हैं.
राष्ट्रीय बकरी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य बकरी के आर्थिक एवं पोषण महत्त्व; बकरी दूध और मांस के पोषक तत्वों और इनके मूल्य संवर्धन तथा प्रसंस्करण के बारे में जागरूक बढ़ाना है.
आइसीएआर के केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के निदेशक डॉ मनीष कुमार चाटली ने बकरी अनुसंधान सम्बन्धी सभी केन्द्रों एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को प्रस्ताव दिया था कि बकरीपालन को लोकप्रिय बनाने तथा भविष्य के पशु के रूप में बकरी की ब्रांडिंग करने के उद्देश्य से संस्थान के स्थापना दिवस (12 जुलाई) को राष्ट्रीय बकरी दिवस के रूप में मनाया जाय.