देशभर में आज संविधान के निर्माता बाबा साहेब बीआर अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है.आज धूमधाम से संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जी की जयंती मनाई जा रही है. उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में ना सिर्फ एक अहम भूमिका निभाई बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए संविधान निर्माण की भी जिम्मेदारी उठाई. हर साल उनकी जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है.31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
भारतीय संविधान के जनक डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. देश की आजादी से लेकर कानूनी संरचना को विकसित करने में उनकी भूमिका अहम थी, जिसका स्मरण लोग उनके जन्मदिवस पर करते हैं. बता दें कि देश से जाति प्रथा जैसी कुव्यवस्था को हटाने के लिए बाबासाहेब ने तमाम आंदोलन किये थे. एक दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ. अंबेडकर ने अपने बचपन में भी कई यातनाएं झेली थीं जिनका गहरा असर उनके व्यक्तित्व पर पड़ा.
सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन को समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी जाना जाता है. भीमराव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया. पूरे विश्व में उनके मानवाधिकार आंदोलनों, उनकी विद्वता जानी जाती है.
इस दिन सभी सरकारी दफ्तरों और देश के बौद्ध विहारों में उनकी जयंती मनाई जाती है और उनके विचारों को स्मरण कर नमन किया जाता है. सिर्फ यही नहीं, हर साल भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व दूसरे गणमान्य लोग उनके योगदान को याद करते हैं. उनकी प्रतिमाओं पर पुष्पमाला अर्पित किये जाते हैं.
खासकर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में उनकी जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. कई सामाजिक संगठनों में उनसे जुड़े प्रश्नों के आधार पर क्विज, परिचर्चा, वाद-विवाद, भाषण, निबंध जैसी कई प्रोग्राम होते हैं. इसके अलावा, कई जगहों पर सांस्कृतिक आयोजन जैसे कि नृत्य-गायन, चित्रकारी, नाटक आदि प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं.