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झारखंड


हजारीबाग में जमीन दलालों की करतूत: बीस गुणा बढ़ा दी जमीनों की कीमत, कारोबार 80 अरब पार

कोई निवेश नहीं, बस झूठ को सच बोलने की कला और कमाई करोड़ो में
हजारीबाग में जमीन दलालों की करतूत: बीस गुणा बढ़ा दी जमीनों की कीमत, कारोबार 80 अरब पार
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत

हजारीबाग/डेस्क: बीते कुछ वर्षों में हजारीबाग जिले के हर प्रखंड और उसके अंतर्गत गांवों में एक नया धंधा परवान चढ़ रहा है, धंधा है जमीन दलाली का. इस धंधे में शामिल होने के लिए किसी तरह के निवेश की जरूरत नही. बस आपके अंदर झूठ को सच की तरह बोलने की कला होनी चाहिए. धंधा परवान चढ़ता चला जायेगा और कमाई करोड़ो में होगी. यही कारण है कि हजारीबाग का युवा वर्ग ही नही अधेड़ भी जमीन दलाली के इस धंधे में बड़े पैमाने पर शामिल हो रहें है. हजारीबाग का कोई ऐसा गांव नही जहां आपको 10-15 जमीन दलाल मिल जाएंगे. यही वजह है कि देखते-देखते इन दलालों ने हजारीबाग में जमीन की कीमत को उस स्तर पर ले गए है कि साधारण लोग शहर तो क्या गांवों में जमीन खरीद कर घर बनाने का सपना छोड़ दिए है. गांवों में आज से 10 साल पहले जो जमीन 10 हजार रूपये कट्ठा बिकती थी आज वो जमीन 10 से 15 लाख रुपए कट्ठा बिक रही है. शहर में जो जमीन 15 से 20 लाख रुपए कट्ठा बिकती थी, आज वो जमीन 01 करोड़ से ऊपर बिक रही है.

 

स्थानीय लोग बताते हैं शून्य निवेश से शुरू होने वाले जमीन दलाली के इस गोरखधंधे से होने वाले मुनाफे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कल तक ये दलाल पैदल या बाइक पर घूमते थे, गाड़ी में पेट्रोल भराने का जिनके पास पैसा नहीं रहता था आज स्कार्पियो, फॉर्च्यूनर, सफारी की सवारी कर रहे है. जिले में जमीन दलाली के इस धंधे में आम युवा के साथ-साथ सभी राजनीति दल से जुड़े लोग भी बड़े पैमाने पर शामिल हो गए है. हर दल का कार्यकर्ता इस धंधे में बड़े पैमाने पर शामिल है.

 

रजिस्ट्री आफिस के रिकार्ड बोल रहे है, 80 अरब का हो गया कारोबार

जमीन दलाली का कारोबार आज की तारीख में किस ऊंचाइयों को छू रहा इसका अंदाजा इसी बात से लगता की जिले में जमीन का कारोबार सालाना 80 अरब को पार कर गया है. यह दावा हम नहीं सरकारी दस्तावेज कर रहे है. रजिस्ट्री आफिस के कागजात बताते हैं कि पिछले वर्ष जिले में इन दलालों के मार्फत से 80 अरब की जमीन की खरीद फरोख्त की गई है. यह रजिस्ट्री पूरे जिले में हुई है. निबंधन कार्यालय में अंकित इस आंकड़े से अलग सिक्के का दूसरा पहलू भी है. जिस जमीन की रजिस्ट्री बीस से पचास हजार प्रति कट्ठा दिखाई गई है वास्तव में उसकी कीमत दो से तीन गुना ज्यादा रहती है. निबंधन दस्तावेज में जमीन की वही कीमत अंकित की जाती जो सरकार द्वारा स्वीकृत होती है. मगर खरीद बिक्री में यह कीमत दो से तीन गुणा ज्यादा होती है.

 


 

कलतक छोटे मोटे अपराध करते थे, आज बन बैठे हैं जमीन दलाल 

स्थानीय लोग बताते हैं कि शुरुआत में कम दलाल सक्रिय थे. ये लोगो को हड़काने, उनकी जमीन पर कब्जे के लिए छोटे-छोटे अपराधियों की मदद लिया करते थे, फिर इन अपराधियों को भी जमीन दलाली का स्वाद मिल गया. इसके बाद छोटे-मोटे अपराधी भी इस दलाली के धंधे में बड़े पैमाने पर शामिल हो गए. इतना ही नहीं राजनीति और वकालत में भाग्य आजमाने वाले कई लोग भी अब सीधे जमीन दलाली के धंधे में उतर गए है. कई धनकुबेर और जनप्रतिनिधि, समाजसेवा का दंभ भरने वाले तथाकथित समाजसेवी भी पर्दे के पीछे से इस धंधे में शामिल है, जो सालाना करोड़ों का जमीन का कारोबार कर रहे है. जमीन दलाली के जरिए की गई करोड़ों अरबों की काली कमाई के जरिए ऐसे समाजसेवी कई चुनाव में विधानसभा का चुनाव लड़ अपनी किस्मत आजमा चुके है. यह और बात है कि जनता उस तथाकथित समाजसेवी को उनके असली चरित्र के कारण नकार चुकी और चुनाव में उन्हें करारी शिकस्त मिली है. कई उद्यमी भी है जो अपनी काली कमाई का निवेश दलालों के मार्फत जमीन के धंधे में कर रहे है.

 

लुभावनी बाते कर बढ़ा देते है जमीन की कीमत

जमीन दलाल रैयत के साथ भले ही कुछ हजार प्रति डिसमिल की दर से जमीन का एग्रीमेंट करते मगर उसे लाखो में बेच डालते है. दलाल जमीन बेचते समय खरीदार के सामने ऐसी लुभावनी बाते करते है कि खरीदार को वह जमीन बेहतर लगती है.

 
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