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रांची/डेस्कः केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की किताब ‘संघतिल मानवी व्यवस्थापन’ (संघ में मानव प्रबंधन) का शुक्रवार को विमोचन किया गया. इस किताब में आरएसएस की कार्यशैली और वहां के ऑपरेशनल सिस्टम को बड़े प्रभावशाली तरीके से पेश किया गया है. इस अवसर पर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर भी मौजूद थे. इस दौरान गडकरी ने साझा किया कि 11 साल पहले जब उन्होंने ई-रिक्शा लाने का विचार किया था, तो यह तय कर लिया था कि अगर इसके लिए एक बार नहीं, तो 10 बार भी कानून तोड़ना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेंगे.
सुनील अंबेकर ने गडकरी की किताब के बारे में कहा कि अक्सर हमारे जीवन में जो सकारात्मक प्रभाव होते हैं, वह हमें बाद में समझ में आते हैं. नितिन गडकरी ने इस पुस्तक के माध्यम से आसान भाषा में आरएसएस के सिद्धांत और कार्यशैली को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है.
"राजनीति पैसा कमाने का धंधा नहीं है"
किताब के विमोचन के दौरान गडकरी ने राजनीति पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि पैसा कमाना गुनाह नहीं है, और मैं सभी कार्यकर्ताओं को यह सलाह देता हूं कि पैसा कमाना चाहिए, लेकिन राजनीति को पैसा कमाने का धंधा नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लेने के लिए योग्यताएं पूरी नहीं की थीं और 12वीं में केवल 52% अंक प्राप्त किए थे.
ई-रिक्शा के लिए उठाया ऐतिहासिक कदम
गडकरी ने अपनी एक अहम घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अगर मैंने ज्यादा सोचा होता, तो आज सरकारी नौकरी कर रहा होता. लेकिन मेरे अंदर जोखिम लेने की हिम्मत थी, और यही मेरी ताकत है. उन्होंने बताया कि उनके जीवन का सबसे बड़ा काम साइकिल रिक्शा की जगह ई-रिक्शा को लाना था, क्योंकि साइकिल रिक्शा में एक आदमी दूसरे आदमी को खींचता था, जो अत्यंत कठिन और अमानवीय था.
2014 में जब गडकरी पहली बार मंत्री बने, तो उन्होंने सोचा कि एक करोड़ लोग अपने जीवन यापन के लिए साइकिल रिक्शा पर निर्भर थे. दीनदयाल उपाध्याय ने इसे "मानव शोषण" बताया था और यह तय किया गया था कि इसे खत्म किया जाएगा. गडकरी ने कहा कि मैंने ठान लिया था कि इस बदलाव के लिए अगर एक बार नहीं, तो दस बार भी कानून तोड़ने से पीछे नहीं हटूंगा.
ई-रिक्शा पर कानूनी संघर्ष का जिक्र
गडकरी ने महात्मा गांधी के एक उद्धरण का हवाला देते हुए कहा, "महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर आप किसी गरीब की मदद कर रहे हैं, तो आप एक बार नहीं, बल्कि दस बार भी कानून तोड़ सकते हैं. " उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य "मानव-मानव को खींचने" वाली प्रथा को समाप्त करना था और ई-रिक्शा ने इस अमानवीय प्रथा को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गडकरी ने बताया कि ई-रिक्शा की स्वीकृति से लगभग एक करोड़ लोगों की जिंदगी में बदलाव आया. यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है.