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1961 से पृथक धर्म कोड के लिए संघर्षरत है आदिवासी

आजादी पूर्व से लेकर 1951 तक आदिवासियों का था पृथक धर्म कोड
1961 से पृथक धर्म कोड के लिए संघर्षरत है आदिवासी

कौशल आनंद. न्यूज 11 भारत


आजादी के पूर्व से लेकर 1951 तक के जनगणना में देश के आदिवासियों का जनगणना प्रपत्र में अपना पृथक धर्म कोड था. मगर 1961 में इसे हटा दिया गया. भारत  का प्रथम जनगणना 1871 में शुरू हुआ. इस तरह 1871 और 1881 में ‘आदिवासी धर्म’, 1891 से लेकर 1921 तक ‘प्रकृति पूजक’, 1931 में ‘आदिवासी धर्म’ 1941 में ‘जनजातीय धर्म’ और 1951 में ‘अनुसूचित जनजाति धर्म’ के रूप में राष्ट्रीय जनगणना प्रपत्र में अलग-अगल से नाम से पृथक धर्म कोड प्राप्त था. मगर इसके बाद 1961 में हुए जनगणना में आदिवासियों का पृथक धर्म कोड जनगणना प्रपत्र से हटा दिया गया. तब से लेकर आज तक देश में निवास करने वाले आदिवासी फिर से जनगणना प्रपत्र में पृथक धर्म कोड की मांग रहे हैं. जिस समय धर्म कोड जनगणना प्रपत्र से हटाया गया उस समय देश में कांग्रेस की सरकार थी. कांग्रेस की सरकार लंबे समय तक देश में शासन किया मगर कांग्रेस ने फिर से पृथक धर्मकोड नहीं दिया. हर दस वर्ष में होने वाले जनगणना में आदिवासी अलग धर्म कोड की मांग करते रहे हैं, मगर अब तक यह नहीं मिला. यहां यह भी बताना जरूरी है कि किसी धर्म को जनगणना प्रपत्र में अलग धर्म कोड देना पूरी तरह से केंद्र सरकार का मसला है. केंद्र सरकार की अनुशंसा से देश के महा रजिस्ट्रार जनरल इसे अंकित कर सकता है. राज्य सरकार अधिक से अधिक इसकी अनुशंसा भर केंद्र से कर सकता है. 

 

तेजी से घटते आदिवासियों की संख्या से होंगे आदिवासियों को कई नुकसान

 

पृथक धर्म कोड नहीं होने से आदिवासियों की संख्या तेजी से घट रही है. पृथक धर्म कोड नहीं होने से आदिवासियों का ईसाई, मुस्लिम एवं हिंदूकरण हो रहा है. धर्मांतरण तेजी से हो रहा है. अभी तक आदिवासी अल्पसंख्यक श्रेणी में नहीं आएं. अगर पृथक धर्म कोड नहीं मिला तो इसके कई नुकसान आदिवासियों को आने वाले दिनों में उठाना पड़ेगा. सबसे बड़ा नुकसान झारखंड सहित पूरे देश में आदिवासियों के आरक्षित लोकसभा, विधानसभा, पंचायत चुनाव एवं नगर इकाई चुनाव की सीटें कम होंगी. साथ ही साथ देश एवं राज्यों द्वारा आदिवासियों के विकास एवं संरक्षित करने के लिए बनायी जाने वाली योजनाओं में कटौती होगी. जिसका खमियाजा अंतत: आदिवासियों को उठाना पड़ेगा. 

 

इस जनगणना में भी पृथक धर्म कोड नहीं मिला तो खुद कराएंगे अंकित

 

आजादी के बाद से ही लगातार देश में निवास करने वाले 12 करोड़ से अधिक प्रकृति पूजक आदिवासी जनगणना प्रपत्र में पृथक धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. मगर आज तक नहीं मिला और अब 2021 के जनगणना शुरू होने के पूर्व मिलने की उम्मीद है. अब आहिस्ता-आहिस्ता आदिवासियों के सब्र का बांध टूट रहा है. आदिवासी धर्मगुरूओं एवं नेताओं जिसमें सरना धर्म गुरू बंधन तिग्गा, राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजीनियस धर्म समन्वय समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवकुमार धान, आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष गीताश्री उरांव, सरना प्रार्थना सभा के रवि तिग्गा, केंद्रीय सरना समिति के अजय तिर्की, नारायण उरांव, डा प्रवीण उरांव आदि ने कहा कि अगर इस बार अलग धर्म कोड नहीं मिलता है तो वे लोग अपने-अपने राज्य में या तो जगनणना का बहिष्कार करेंगे या फिर जनगणना प्रपत्र में आदिवासी, आदि या सरना धर्म को अंकित कराएंगे. पिछले 2011 के जनगणना में भी झारखंड सहित कई राज्यों में आदिवासियों ने जनगणना प्रपत्र में धर्म कोड अंकित कराया था. 

 

इन धर्मों का है अलग धर्म कोड

 

हिंदू, मुसलमान, सिख, बौद्ध और जैन. यहां बतातें चलें कि देश में बससे कम आबादी वाले 45 लाख जैन धर्मियों का पृथक धर्म कोड है. मगर 12 करोड़ से अधिक आदिवासियों का नही. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. 

 

2011 के जनगणना के अनुसार देश में हैं 83 जनजातीयां 

 

सरना : 4957467

आदि बासी : 86877

आदि : 24381

अका : 297

एनिमिस्ट : 4130

अपो रन्गंग : 133

बैगा : 1884

भील : 1323

भोई : 602

भूमिया : 181

बिरसा : 2395

बोड़ो/बोरो : 294

बोरी : 113

चांग नागा : 462

डोंगी : 278

डोनीपोलो/सिदोंयी पोलो : 331370

टुपूब : 3326

फ्रालूंग : 2381

गारो : 121

गोंड /गोंडी : 1026344

हाजोंग : 110

हल्बा : 532

हेराका : 9956

हिल मिरी : 111

हो : 1418

इदु /इदु मिश्नी : 591

कमान/मिजू मीश्नी : 133

कारबी / मिकिर : 204

कठारी : 316

खरवार : 493

खासी : 138512

किसान : 146

कोरकू : 234

कोयातूर : 364

कृपा : 140

मरंगबोरो : 176

मुंडा : 1086

नानी इंतिया : 4528

नेचुरल रिलिजन : 5635

नियम श्नोंग : 915

निअम्तरे : 84276

नोक्टे : 1511

नॉन क्रीस्तिंस : 1538

न्यारिनो : 1365

उरांव : 1091

पगन : 2088

पहारिया, पहाड़िया : 591

पारधी : 533

संथाल : 6485

सारनाथ : 837

सारी धर्म : 506369

सरनम : 1494

सोंग्सारेक : 19834

स्वर्णा : 121

तडवी : 1786

टाना भगत :1108

ट्राइबल रिलिजन : 17393

युमासम : 19093

बुधदेओ : 1345

इंताया : 1208

रंग्फ्रा :  10598

बमान्य : 121

हिद्यराज : 102

सुब्बा : 171

रंगखो ठाक : 152

टिकाओ रानगोंग : 373

पनियार : 233

मन्नान : 118

बैगानी धरम : 488

अदि कुरूम : 235

आदिम धम्म : 57022

ए.सी : 1317

बहाई/बहैस : 4572

जेसव/जुदाइज्म : 4429

निरंकारी : 1781

पारसी/जोरास्ट्रियन : 57264

सादरी : 153

सनमाही : 222422

ट्रेडिशनल रिलिजन : 1239

डेरा सरसा : 139

आदि धर्म : 82255

बिदीन : 29553

अथेइस्त : 33304

 
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