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रांचीः लेखा शाखा के एडहोक कर्मचारी झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (JUVNL) में पैसे का घोटाला कोई पहली बार नहीं हुआ है. इस बार के बैंक घोटाले में भी बैंक ऑफ इंडिया की क्लब साइड ब्रांच का नाम सामने आया है. इससे पहले भी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना और एपीडीआरपी के काम को लेकर 55 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक घोटाला हुआ था. उस समय भी बैंक ऑफ इंडिया के क्लब साइड ब्रांच से ही फरजी बैंक गारंटी के भुनाने की बातें सामने आयी थीं. झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड का विघटन नहीं हुआ था और बोर्ड के चेयरमैन एचबी लाल थे. JUVNL की तरफ से मजदूरों के कल्याण कोष में हुए घोटाले को लेकर धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. उस समय भी 55 करोड़ के बैंक गारंटी घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. हालांकि इस मामले में शीर्ष अदालत ने रामजी पावर लिमिटेड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पूर्व के बिजली बोर्ड के अधिकारियों को दोषी माना है.
JUVNL में हुए वर्तमान घोटाले में कुशल श्रमिक अरविंद कुमार ने 2.33 करोड़ से अधिक की राशि अपने तीन बैंक एकाउंट में ट्रांसफर किये. आरोपी 2014 से ही गड़बड़ी कर करोड़पति बन गया. 2014 में ही अरविंद ने अपने तीन बैंक खातों में दो करोड़ 33 लाख रुपये से अधिक ट्रांसफर किये. जांच के क्रम में पता चला कि आरोपी व्यक्ति ने मोरहाबादी के टैगोर हिल के पास शुभाकृति अपार्टमेंट में एक आलीशान फ्लैट खरीदा. यहां पर फ्लैट की कीमत 70 लाख के आसपास है. इतना ही नहीं टाटा हैरियर नामक 20 लाख की गाड़ी भी खरीदी. अरविंद कुमार की नौकरी 2010-11 में अनुकंपा पर हुई थी. लेखा शाखा में योगदान देने के बाद बिजली बोर्ड के कर्मियों के कल्याण कोष में कटौती किया जाना अरविंद का काम था. इस कोष के तहत बिजली कर्मियों के वेतन से पांच सौ रुपये की कटौती होती थी, जिससे कर्मियों की मृत्यु होने के बाद परिजनों को दो लाख रुपये कर्मियों की मृत्यु होने पर दी जाती थी. इस कल्याण कोष का खाता बैंक ऑफ इंडिया के क्लब साइड ब्रांच में है.
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बैंक ऑफ इंडिया का नाम हर बार आ रहा है सामने
बैंक ऑफ इंडिया के क्लब साइड ब्रांच का नाम ऊर्जा विभाग के घोटाले में आया है. तत्कालीन झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष एचबी लाल के कार्यकाल में रामजी पावर प्राइवेट लिमिटेड को तीन सौ करोड़ का काम मिला था. यह कंपनी राजधानी के कोकर के हैदर अली लेन के पास है. इसके लिए कंपनी के निदेशक और प्रबंध निदेशक रहे अशोक कुमार सिंह और उनके बेटों ने 55 करोड़ से अधिक का बैंक गारंटी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का काम लिया था. योजना के तहत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण को लेकर जो बैंक गारंटी बनाये गये थे, वह बैंक गारंटी बैंक ऑफ इंडिया के क्लब साइड ब्रांच की तरफ से दी गयी थी. इस घोटाले को लेकर धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.