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रांची/डेस्क: वैसे तो भारत का हर एक राज्य अपने में हीं एक इतिहास है. आप भारत के किसी भी कोने में चले जाए वहा आपको कुछ न कुछ इतिहासिक चीजें मिल ही जाएंगी. भारत के हर शहर ही अपनी खासियत से जाना जाता है. ऐसे ही भारत के एक अनोखे शहर के बारे हम आपको बताने जा रहे है. जो की पीतल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इस शहर में होने वाले कारोबार का खुमार सिर्फ भारत में ही नही बल्कि विदेश में इसके खूब चर्चे है. लेकिन अगर आप इस अनोखे शहर के बारे में नहीं जानते तो ये खबर आप के लिए है.
इस शहर को कहा जाता हैं पीतल की नगरी
यूपी के शहर मुरादाबाद को पीतल की नगरी कहा जाता है. इस शहर में बनाने वाले सभी पीतल के सामान भारतीय संस्कृति को दर्शता है.बता दें, इस शहर को पीतल की नगरी का नाम एक सरकारी योजना (जिला-एक उत्पाद योजना) के तहत दिया गया था. यहां पर छोटे इंडस्ट्री से लेकर पीतल बनाने की कई सारी बड़ी फैक्ट्रियां हैं. इन सभी फक्ट्रियों में हिंदू देवी-देवताओं से लेकर मुगलकालीन की पंटिंग की जाती है.
विदेश में पीतल की नगरी का जलवा
पीतल से बने प्रोडक्ट का क्रेज सिर्फ भारत में ही नही है बल्कि दुसरे देश जैसे अमेरिका और यूरोप में भी है. खासकर महाद्वीप अमेरिका में अधिक मात्रा में भारत से पीतल को एक्सोर्ट किया जाता है.
अब जानते है इस इंडस्ट्री का आकार
बात करें, इस इंडस्ट्री के आकार की तो पीतल का टर्न ओवर 8,000-9,000 करोड़ रुपये का है, जो की 2008-09 तक टर्न ओवर कम से कम 20,000 करोड़ रुपये था. एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में मुस्लिम की आबादी 47 प्रतिशत है. उत्पादन के विभिन्न चरणों के बीच, कारीगर और मैन्युफेक्चरिंग भूमिकाओं में मुसलमानों का पारंपरिक रूप से वर्चस्व रहा है. वर्तमान में मुरादाबाद में पीतल के तकरीबन 4,000 एक्सपोटर हैं, जिसमें से अधिकतर हिंदू हैं. मंसूरी, प्रधान, पीतल बस्ती दस्तकार एसोसिएशन ये कुछ नाम है जो वहां अधिक प्रचलित हैं.