प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले सहित पूरे झारखंड राज्य में कालेजों में इंटरमीडिएट (11वीं और 12वीं कक्षा) की पढ़ाई बंद होने से छात्र-छात्राओं के सामने अनिश्चितता का माहौल है. राजभवन के आदेश के अनुसार नई शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत अब किसी भी कालेज में इंटर की पढ़ाई नहीं होगी. इसके बजाए सत्र 2025-2027 से इंटर की पढ़ाई चुनिंदा सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दी गई है. दूसरी और निजी स्कूलों और संस्थानों में सीबीएसई पैटर्न के तहत इंटर की पढ़ाई और परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी. इस बदलाव ने छात्रों को असमंजस में डाल दिया है कि वे अपनी इंटर की पढ़ाई कहां से पूरी करेंमननई व्यवस्था के तहत इंटर की पढ़ाई अब हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, रामगढ़ के कुछ चुनिंदा सरकारी स्कूलों और प्राइवेट स्कूलों में में कराई जाएगी. हालांकि इन स्कूलों की सीमित संख्या और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कई छात्रों को पढ़ाई के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है. वहीं निजी स्कूलों में इंटर की पढ़ाई पहले से कहीं अधिक महंगी हो गई है. जहां कालेजों में इंटर की पढ़ाई के लिए प्रति वर्ष औसतन 4,000 रुपये शुल्क लिया जाता था, वहीं निजी स्कूलों में अब 12,000 रुपये तक वसूल रहे हैं. कई निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए पढ़ाई और चुनौतीपूर्ण हो गई है.
कालेजों की स्थिति बदतर, अनुदान पर संकट यह बदलाव
यह निर्णय अनुदान पर चलने वाले कालेजों के लिए भी मुश्किलें बढ़ा रहा है. पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे ये कालेज अब और बदतर स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं. इंटर की पढ़ाई बंद होने से कालेजों की आय का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा, जिससे इन संस्थानों का संचालन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है. दूसरी ओर स्नातक (ग्रेजुएशन) की पढ़ाई कालेजों में यथावत जारी रहेगी. इससे छात्रों में राहत है.
ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों में बढ़ रही है चिंता
इन बदलावों ने छात्रों और अभिभावकों के बीच चिता बढ़ा दी है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए चुनिदा सरकारी स्कूलों तक पहुंचना और निजी स्कूलों की बढ़ी हुई फीस वहन करना मुश्किल हो रहा है. शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि सरकार को इस बदलाव को लागू करने से पहले स्कूलों में बुनियादी ढांचे और शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए थी. इस बीच छात्रों और अभिभावकों ने मांग की है कि सरकार इस नीति पर पुनर्विचार करे और सभी छात्रों के लिए सस्ती और सुलभ शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करे.
पहले दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर मिलेगी डिप्लोमा की डिग्री
नई शिक्षा नीति में स्नातक स्तर पर भी बड़े बदलाव पूर्व में भी किए गए हैं. इसमें ग्रेजुएशन का कोर्स चार साल का होगा. पहले दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर छात्रों को डिप्लोमा की डिग्री मिलेगी, तीन साल की पढ़ाई के बाद स्नातक की डिग्री दी जाएगी और चौथे साल में एक साल का रिसर्च कार्य करना होगा. यह नई व्यवस्था छात्रों को अधिक अनुसंधान-उन्मुख बनाने के लिए लाई गई है, लेकिन अतिरिक्त समय व संसाधनों की जरूरत होगी.