प्रमोद कुमार/न्यूज़11 भारत
बरवाडीह/डेस्क: बरवाडीह बस स्टैंड परिसर में दुकानों को हटाने को लेकर प्रखंड प्रशासन और स्थानीय दुकानदारों के बीच विवाद गहराता जा रहा है. अंचल अधिकारी मनोज कुमार द्वारा 13 दुकानदारों को 24 घंटे के भीतर दुकान खाली करने का अल्टीमेटम दिए जाने से दुकानदारों में आक्रोश है. दुकानदारों का आरोप है कि प्रशासन उनके वर्षों पुरानी रोजी-रोटी पर एकतरफा फैसला थोप रहा है. मामला छात्रावास के लिए प्रस्तावित नए रास्ते के निर्माण से जुड़ा है. दुकानदारों का कहना है कि जब छात्रावास के पश्चिम दिशा में पहले से ही वैकल्पिक रास्ता मौजूद है, तो फिर पूर्व दिशा में दुकानों व सरकारी शौचालय को तोड़कर 12 फीट चौड़ा नया रास्ता बनाने की योजना अव्यवहारिक है. प्रस्तावित क्षेत्र में केवल 7-8 फीट की जगह उपलब्ध है, वहीं बगल में सरकारी शौचालय भी स्थित है. दुकानदारों ने तर्क दिया कि जब निर्माण सामग्री पहले पश्चिम दिशा से ही पहुँचाई गई थी, तो अब पूर्व दिशा में दुकानों को उजाड़कर रास्ता बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है.
सुरक्षा दृष्टिकोण से भी अव्यवहारिक है प्रस्तावित रास्ता
दुकानदारों का कहना है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी पूर्व दिशा में नया रास्ता बनाना उचित नहीं है. पश्चिम से पूर्व दिशा तक की दूरी लगभग 150 मीटर है, और पूर्व दिशा में गर्ल्स स्कूल (छात्रावास) स्थित है. यदि छात्रावास के लिए मुख्य रास्ता पूर्व दिशा से बनाया जाता है, तो यह स्कूल की सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. ऐसे में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. दुकानदारों ने आरोप लगाया कि प्रशासन बिना किसी पुनर्वास योजना या वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें दुकान खाली करने का आदेश दे रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है. कई दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने सरकार द्वारा प्रस्तावित नई दुकानों के लिए आवेदन भी कर रखा है, परंतु लॉटरी प्रक्रिया में विलंब के कारण अभी तक उन्हें कोई स्थान नहीं मिला है. ऐसी स्थिति में प्रशासन का यह कदम उनकी आजीविका पर सीधा हमला है.
विधायक रामचन्द्र सिंह से हस्तक्षेप की मांग
दुकानदारों ने मामले में स्थानीय विधायक रामचन्द्र सिंह से हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि पश्चिम दिशा में मौजूद पुराने रास्ते का ही उपयोग किया जाए और पूर्व दिशा में दुकानों को हटाकर नया रास्ता बनाने की योजना पर पुनर्विचार हो. दुकानदारों का कहना है कि यह केवल उनका व्यापारिक मुद्दा नहीं, बल्कि छात्राओं की सुरक्षा का भी सवाल है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.