उपेन्द्र सिंह/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: हमारे देश में रहस्यों से भरे मंदिरों की कमी नहीं है. विश्व का सबसे अनूठा भारत का एक ऐसा मन्दिर जो हर दिन जलसमाधि लेता है और जल से वापस निकल भी जाता है इसकी कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है. यह भगवान निक्कलंगेश्वर का मंदिर भावनगर, गुजरात के पास, अरब सागर के अंदर 1KM में स्थित है. हर दिन के दोपहर में 1 बजे से 10 बजे के बीच तीर्थयात्रियों को भगवान शिव के दर्शन यहां पर होते है. कहा जाता है कि पांडवों ने इस स्थान पर पूजा अर्चना की थी स्टोन टेंपल फ्लैग करीब 20 फीट की ऊंचाई पर है जिसको बाढ़ या तूफान से भी अबतक कोई क्षति नही आ सकी.
समुद्र का जल स्तर प्रतिदिन दोपहर 1 बजे तक
इस स्टोन टेम्पल फ्लैग के शिखर को छूता है. दोपहर 1 बजे के बाद, समुद्र का स्तर दोनों तरफ से घटने लगता है और लोगों को भगवान शिव की पूजा करने में लग जातें है. यह इस कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर यह गुजरात के भावनगर के अरब सागर में स्थित है अरब सागर की लहरें रोज निष्कलंक महादेव के शिवलिंगों का स्वयं जलाभिषेक करती हैं. श्रद्धालुओं को पानी में पैदल चलकर ही इस मंदिर तक जाना होता है. ज्वार के उतरने का सभी इंतजार करते है. भारी ज्वार के समय केवल मंदिर की पताका और खंभा ही नजर आता है. उस दौरान लगता ही नहीं है कि पानी की नीचे समुंद्र में महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित हैं. यहां पर शिवजी के पांच स्वयंभू शिवलिंग हैं.
भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में पांडवों को दिए थे दर्शन
महाभारत के युद्ध विजय के बाद भी कौरवों को मारने के बाद वे दुखी थे कि उन्हें अपने ही सगे-संबंधियों की हत्या की है. पाप से छुटकारा के लिए पांडव, भगवान श्री कृष्ण की सलाह पर और श्री कृष्ण की दिये हुए एक काला ध्वज साथ ही एक काली गाय को लेकर पाप मुक्ति के लिये आगे बढ़े भगवान ने उनसे कहा था कि जब ध्वजा और गाय दोनों का रंग काले से सफेद हो जाएगा तो इस पाप से मुक्त हो जाओगे. जिस जगह पर हो सब भगवन भोलेनाथ की तपस्या भी जरूर करना. जब कोलियाक तट पार पहुंचे तो गाय और ध्वजा सफेद हो गए तब उन्होंने तपस्या की स्वयं महादेव ने शिवलिंग दिया तब उन्होंने शिव द्वारा दिये गए पांचो शिवलिंग को स्थापित कर दिया. अब वहां पर भादो में प्रत्येक वर्ष भाद्रवी मेला लगता है.