प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: टाटीझरिया के खैरा पंचायत के सिझुआ झरने में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रकृति ने अपना खजाना लुटाया है. यहां पर्यटन की दृष्टि से मनमोहक नजारे हैं कि एक बार जो पर्यटक आता है, तो उसका बार-बार आने का मन करता है, लेकिन सुविधाओं का अभाव उसके कदम रोक देता है. इसी कारण इस पहाड़ी क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं होते हुए भी पर्यटन स्थल साल भर वीरान ही रहते हैं. सिर्फ दिसंबर-जनवरी महीने में पर्यटकों की रौनक यहां देखी जाती है, लेकिन इसमें अधिकतर आसपास क्षेत्र के ही रहते हैं. हसीन वादियों के बीच सैक फीट ऊंची सिझुआ झरने का मनमोहक संगीत हर दिल में रोमांच भर देता है. लेकिन, आज ये उपेक्षित है.
पर्यटन की अपार संभावना के बाद भी खैरा से बरकट्ठा सडक मार्ग के सिझुआ मोड से करीब 2 किमी दूरी पर अवस्थित इसमनोरम झरने तक पहुंचने का राह आसान नहीं है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सिस्टम के हिचकोले हैं. मिट्टी मोरम से बना रास्ता पानी के बहाव से जर्जर हो चुका है. अगर, कोई व्यक्ति पर्यटन स्थल तक पहुंचने की सोचता है, तो सड़क के गड्ढे पार करना ही उसके लिए चुनौती भरा हो जाता है. ऐसे में पर्यटन विकास की संभावना तलाशना ही बेमानी है. खस्ताहाल रास्ते के कारण सिड्नुआ में निवास करने वाले 300 की आदिवासी आबादी प्रभावित है. उनका आवागमन रोजाना हिचकोले खाकर पूरा करने की विवशता है. सिझुआ आदिवासी टोला की वार्ड सदस्या भोगी देवी, ग्रामीण चुन्नूलाल मांझी, साहेबराम मांझी, ढेना मांझी, रामेश्वर मांझी, सुरेश मांझी, सीताराम मांझी, सुगिया देवी, सुनिता देवी, सारो देवी, महादेव मांझी आदि ने बताया कि ठंड के दिनों में यहां काफी लोग आते हैं, लेकिन स क नहीं होने के चलते यह पर्यटन स्थल लोगों की पहुंच से दूर है. स्थानीय प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से इस मनोरम स्थल के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है, ना ही स क की ओर ध्यान दिया गया है. हालांकि इस स्थल की सुंदर सी तस्वीर जिला समाहरणालय भवन में जरूर लटकाई गई है.