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रांची/डेस्कः-ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स में एक रिपोर्ट साल 2020 में प्रकाशित हुई थी जिसमें बताया गया था कि देर से बच्चा कंसीव करने के ट्रेंड में इजाफा हुआ है. पहली बार ऐसा हुआ है कि महिलाएं बिना मां बने 30 वर्ष के उपर कदम रख रही है. इसकी संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हुई है. करियर को तरजीह देने के चक्कर में कई युवा अपने पेरेंटहुड लाइफ की शुरुआत करने में देरी कर रहे हैं. अधिकतर डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं के लिए गर्भ धारण करने का उपर्युक्त समय 35 साल तक का होता है. हलांकि 35 साल के बाद भी इस प्रक्रिया को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं है. पर कई महिलाओं को इस उम्र में बच्चे कंसीव करने में काफी समस्या भी होती है, स्वास्थ संबंधित समस्या होने की भी खतरा बनी रहती है.
35 की उम्र के बाद गर्भधारण से कई समस्याए उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है.
गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर अर्चना धवन बजाज का कहना है कि महिलाओं में 35 के बाद के प्रेग्नेंसी को एडवांस मैटरनल एज के कैटेगरी में रखा जाता है. कहा जाता है कि महिलाओं की एग क्वालिटी 35 के उम्र के बाद प्रभावित होने लगती है. इसकी सबसे ज्यादा गिरावट 40 के उम्र में आती है. इससे बच्चों में डाउन सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ने लगता है.
मां के साथ-साथ पिता की भी बढती उम्र का असर बच्चों पर पड़ता है. पिता की उम्र अगर ज्यादा है तो बच्चों में मार्फन्स सिंड्रोम का खतरा बढ़ने लगता है. पुरुष जीवन भर अपना स्पर्म प्रोड्युस कर सकते हैं पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ क्वालिटी में गिरावट आने लगती है. एडवांस पैटरनल एज के दौरान बच्चों में हायर जेनेटिक डिसॉर्डर वाली स्थिति आ सकती है. ऑटिज्म, सीजोफ्रेनिया और बायपोलर डिसॉर्डर का भी सामना करना पड़ता है.