सनातन धर्म की सबसे प्रभावशाली पूजा है रुद्राभिषेक, लगता है तीन से चार घंटे का वक्त
न्यूज11 भारत
रांची: आज सावन महीने की शिवरात्रि है. और मंगला गौरी व्रत भी ,सावन का मंगलवार शिव-पार्वती की पूजा का विशेष दिन होता है. सावन महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है. वैसे तो ये व्रत खासतौर पर महिलाएं करती हैं, लेकिन पति और पत्नी दोनों एक साथ इस दिन व्रत-उपवास और पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से महिलाओं को देवी पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देती हैं.
सावन के महीने में रुद्राभिषेक
भगवन शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग उनकी पूजा करते हैं और शिवलिंग पर मंत्रों का जाप करते हुए विशेष वस्तुएं अर्पित करते हैं अर्थार्थ चढ़ाते हैं. वैसी पूजन विधि जिससे शिवजी की पूजा कर सभी समस्याओं का नाश होता है उसे रुद्राभिषेक कहा जाता है. सावन के महीने में रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व होता है. शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करना विशेष फलदायी है. रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है. हिन्दू सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्टों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं.
रुद्राभिषेक का महत्व (Rudrabhishek Importance)
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं. जैसा की मंत्र से साफ है कि रूद्र ही सर्वशक्तिमान हैं. रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है. सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक अधिक और तुरंत फलदायी होता है. इससे अशुभ ग्रहों के प्रभाव से जीवन में चल रही परेशानी भी दूर होती है, परिवार में सुख समृद्धि और शांति आती है.
रुद्राभिषेक की तैयारी
भगवन भोलेनाथ सभी मानसजन के भगवान है ,इनकी पूजा हमेशा सहज और सात्विक होती है, वो सबकी मनोकामना पूरी करते है. कई बार हम मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक नही कर पाते है. तब हम अपने घर में ही रुद्राभिषेक कर सकते है. अपने घर में ही रुद्राभिषेक करने के लिए घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाया जाता है, अगर पारद शिवलिंग है तो यह बहुत अच्छा है. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है. फिर माता पार्वती, भगवान गणेश, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्यदेव, अग्निदेव, ब्रह्मदेव, पृथ्वी माता और गंगा माता आदि कि पूजा करनी चाहिए . इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और नवग्रहों के लिए आसन या सीटें तैयार की जाती हैं. फिर देवी-देवताओं पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाया और भोग लगाया जाता है.
आवश्यक सामग्री
रुद्राभिषेक के लिए गाय का घी, चंदन, फूल, मिठाई, फल, गंध, धूप, कपूर, पान का पत्ता, शहद, दही, ताजा दूध, गुलाबजल, गन्ने का रस, नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल, पानी, सुपारी और नारियल आदि की जरुरत होती है . अगर हम अन्य सुगंधित पदार्थ शिव को अर्पण करना चाहते हैं तो वह भी चढ़ा सकते है. श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल या फिर अन्य धातु का भी बाजार में उपलब्ध होता है. रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है. इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है. शिवलिंग से बहने वाले पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें और फिर वेदी पर रखें.
कैसे किया जाता है रुद्राभिषेक
- घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखकर और पूर्व की तरफ मुख करके बैठना चाहिए
- अभिषेक श्रृंगी में गंगाजल से शुरूकरके फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध आदि जितने भी तरल पदार्थ हैं अभिषेक करना चाहिए
- भगवान शिव को चंदन से लेप लगा कर उन्हें पान का पत्ता, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित किया जाता है
- इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाया जाता है इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर आरती उतारें
- भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप किया जाता है
- अभिषेक के समय घर पर सभी लोग रहें तो अच्छा है , और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहना चाहिए. अभिषेक से एकत्रित पानी को पूरे घर में छिड़कना चाहिए तत्पश्चात पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. माना जाता है कि इससे सभी रोग दूर हो जाते हैं.
- धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक, तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष, इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है. पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें करना चाहिए.
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra)
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥ ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।